लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार की आपसी कलह और सपा में कौमी एकता दल के विलय को उनकी बर्खास्तगी का मुख्य कारण माना जा रहा है।
मंगलवार दोपहर में ही कौमी एकता दल के सपा में विलय की घोषणा पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने की थी। बताया जाता है कि बलराम यादव इस विलय के मुख्य किरदार थे।
सपा सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कौमी एकता दल का पार्टी में विलय नहीं चाहते थे। सूत्रों बताते हैं कि अखिेश यादव यह सोचते हैं कि इस विलय से पार्टी की छवि खराब होगी। ऐसे में बलराम यादव की पैरवी से वह नाराज थे।
बताया जाता है कि कौमी एकता दल के विलय को लेकर बलराम यादव काफी समय से प्रयासरत थे। बीते दिनों हुए राज्यसभा और विधानपरिषद के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए उन्होंने कौमी एकता दल से संपर्क किया था।
इस दौरान ही सपा में कौमी एकता दल के विलय पर सहमति बनी थी। इसके बाद कौमी एकता दल के दो विधायकों ने सपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान किया था।
राजधानी में चर्चा है कि इस समय मुलायम परिवार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा व वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के बीच आपसी कलह चरम पर है। तभी तो मुख्यमंत्री के विरोध के बावजूद शिवपाल ने कौमी एकता दल के विलय की घोषणा कर दी। लेकिन, अब मुख्यमंत्री द्वारा बलराम यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के बाद इस विलय पर भी संशय के बादल मंडराने लगे हैं।