इंदौर। मूक बधिर संस्थान की संचालिका मोनिका पंजाबी ने बताया कि पाकिस्तान से वापस अपने वतन आयी गीता का मन अब इंदौर में रम गया है। गीता अपने माता-पिता के मिल जाने के बाद भी पढाई पूरी करने के लिए मूक-बधिर संस्थान में ही रुकना चाहती है। गीता के मन में माता-पिता के अभी तक न मिलने का गम है, पर उसने अभी तक उम्मीद नहीं छोड़ी है ।
गीता ने मूक-बघिर संस्थान की संचालिका मोनिका पंजाबी और उनकी माँ को सांकेतिक भाषा में बताया की वो उसके माता-पिता को ढूढने के लिए रेल से सफर करना चाहती है। वो उस जगह को पहचान सकती है, जहॉं से वो गुम हुई थी। इस सम्बन्ध में जल्दी ही कोई कार्यवाही हो सकती है। जिससे गीता को रेल के माध्यम से सफर कराया भी जा सकता है। कुछ ऐसी जगहों पर ले जाया जायेगा जो उसने बतायी है। गीता सिलाई और कढाई का कार्य बहुत ही अच्छे से कर लेती है। ये काम उसने पाकिस्तान में सीखा था।
इंदौर आने के बाद गीता अब अंग्रेजी और हिंदी लिखना सीख रही है। उसको कुछ शब्द हिंदी और अंग्रेजी में लिखना भी आ गये हैं। गीता अब सांकेतिक भाषा में बात भी करने लगी है साथ ही अंको का ज्ञान भी उसे हो गया है । गीता अब जोडऩा-घटाना भी सीख गई है।
बताया गया कि पाकिस्तान से आने पर गीता पूरी तरह निरक्षर थी, किन्तु अब उसके सीखने की प्रवृत्ति और जिज्ञासा के कारण वो जल्दी-जल्दी लिखना-पढना सीख रही है। अब तक गीता ने गिनती, हिंदी-अंग्रेजी के कुछ शब्दों को भी सीख लिया है। उसे इस बात का अफसोस है की पाकिस्तान में उसे कुछ नहीं सीखने को मिला। पढाई के मामले में वो पूरी तरह निरक्षर ही रही । वहां पर वह केवल खाना बनाना और सिलाई- कढ़ाई ही सीख पाई।
गीता ने सांकेतिक भाषा में बताया की उज्जैन में पहली बार सिंहस्थ महाकुंभ का इतना बड़ा मेला देखा और महांकाल मंदिर में दर्शन कर श्रद्धा से आंखे भर आयीं थीं और मैं बहुत भावुक हो गयी थी। उसे पौधो में पानी देने की आदत बचपन से ही है। मोनिका पंजाबी ने ये भी बताया की गीता पेड़ और पौधों की बच्चों की तरह देखभाल करती है और सांकेतिक भाषा में बताती है कि उन्हें भी प्यास लगी होगी, उन्हें पानी दे दो। फिर खुद ही पानी देने लगती है।
बताया गया कि गीता को बाजार जाना, लडकियों के साज-श्रृंगार वाले सामान खरीदना, गन्ने का रस और फ्रूट का जूस पीना और छोटा भीम बेहद पसंद है। इंदौर का खाना गीता को बहुत अच्छा लगता है