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Lord Jagannath healthy after drink Parwal juice
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परवल का जूस पीकर भगवान जगन्नाथ हुए स्वस्थ,सोमवार को देंगे दर्शन

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परवल का जूस पीकर भगवान जगन्नाथ हुए स्वस्थ,सोमवार को देंगे दर्शन
now Lord Jagannath healthy after drink Parwal juice
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वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी में लक्खी रथयात्रा मेले की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। मेले के शुरू होने में दो दिन का समय शेष बचा है। यहां अष्टकोणीय रथ पर भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा भाई बलभद्र के विग्रह को बिठाया जाता है, उसका रंग रोगन सफाई मरम्मत का कार्य हो रहा है।

अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय ने बताया कि पिछले एक पखवारे से भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान से बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ काढ़ा पीकर स्वस्थ हो चले हैं। अब प्रभु को परवल का जूस पिलाया जाएगा। परवल का जूस पीने के बाद भगवान जगन्नाथ स्वस्थ हो जाएंगे।

इसके बाद मंदिर में सोमवार को प्रभु अपने भक्तों को दर्शन देंगे। इसी के साथ उनके मन बहलाव ससुराल यानि रथयात्रा स्थित बेनीराम के बगीचे में जाने की तैयारी होगी। मंगलवार की शाम मंदिर से भगवान जगन्नाथ की डोली यात्रा निकाली जाएगी। डोली यात्रा अस्सी स्थित मंदिर से परंपरागत मार्गो से होती हुई रथयात्रा स्थित बेनीराम के बगीचे में पहुंचेगी।

वहां प्रभु अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रात में विश्राम करेंगे। इसके बाद बुधवार की भोर में तीन बजे भगवान जगन्नाथ को रथयात्रा स्थित रथ पर सवार कराया जायेगा। और इसी के साथ तीन दिवसीय लक्खी मेले की शुरुआत हो जाएगी।

स्मरण रहे ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में परम्परानुसार भगवान जगन्नाथ की जलयात्रा का आयोजन किया गया। भगवान जगन्नाथ, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा जी की प्रतिमाओं को मंदिर की छत पर ले जाकर विधि विधान से श्रृंगार किया गया।

इसके उपरांत मुख्य ट्रस्टी आलोक शापुरी व दीपक शापुरी ने मंदिर के पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय की मौजूदगी में गंगाजल से भगवान को स्नान कराकर जलयात्रा शुरू की। कतार बद्ध भक्तों ने अपने हाथों से भगवान को गंगाजल से स्नान कराया। और भगवान को मिष्ठान, फल-फूल अर्पित कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया।

भगवान भी भक्तों के श्रद्धारूपी प्रेम में जमकर स्नान करते रहे। यह सि​लसिला रात 10 बजे तक चला। इसके बाद भगवान के विग्रहों को पुन: गर्भगृह में लाया गया। जहां अत्यधिक स्नान के कारण भगवान प्रतीक रूप से बीमार पड़ गए।