भारत ऐसा देश है जहां स्त्रियों को देवी का दर्जा दिया गया है। वैदिक काल के मनु महाराज ने कहा है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
युग चाहे कोई भी रहा हो वैदिक काल से आधुनिक काल तक भारतीय नारियों ने समय -समय पर अपने साहस और त्याग का परिचय दिया है और अपना लोहा मनवाया है। जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, बेग़म हजरत महल ऐसे नाम है जिन्होंने इतिहास रचा।
वर्तमान में देखे तो आज की भारतीय नारी पुरुषो के साथ ताल से ताल मिलाकर प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। वर्तमान उद्योग जगत क्षेत्र में भी भारतीय महिलाएं तेजी से आगे बढी और शीर्ष पदों पर पहुंच रही है। यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत सुखद अनुभूति है।
इएमए पार्टनर इंटरनेशनल के सर्वे में चौकाने वाला सच सामने आया है। सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है की उद्योग जगत में भारतीय महिलाओं की स्थिति सम्पूर्ण विश्व में सबसे अच्छी है। सर्वे के अनुसार करीब 11 फीसदी भारतीय महिलाये बड़ी-बड़ी कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैसे उच्च पदो पर काबिज है।
वहीं अमरीका जैसे विकसित देश में मात्र 3 फीसदी महिलाएं अमरीका की फॉर्रच्यून 500 कंपनियों में कार्यरत है। यह अंतर कोई मामूली अंतर नहीं है।
उद्योग जगत की महिलाओं में मद्रास की इंदिरा कृष्ण मूर्ति नुई का नाम बहुत अदब से लिया जाता है। भारतीय प्रबंध संस्थान कोलकाता से एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद, जॉन एंड जॉनसन से बतौर प्रबंधक अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली इंदिरा नूरी इस समय विश्व की दूसरी बड़ी पेय एवं खाद्य व्यवसाय में संलग्न कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी है।
उद्योग जगत की किरण मजूमदार शा भी बहुत जानी मानी महिला है जिन्होंने बहुत छोटी पूंजी से बायोकॉन बायोकेमिकल्स लिमिटेड की स्थापना कर उसे अमरीका व यूरोप में विनिर्माण और निर्यात करने वाली कंपनी बना दिया। आज वे बिज़नेस वूमेन के नाम से जानी जाती है। वे 2004 में भारत की सबसे अमीर महिला का खिताब भी पा चुकी है।
बैंकिंग क्षेत्र में भी भारतीय महिलाएं तेजी से शीर्ष पदों पर पहुंच रही है। भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी व निदेशक चंदा कोचर है जो कि महिला सशक्तिकरण का एक आदर्श उदाहरण है।
1984 में मास्टर डिग्री लेने के बाद चंदा ने आईसीआईसीआई बैंक में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में प्रवेश किया और अपने काम व अनुभव से निदेशक पद तक जा पहुंची। उनके नेतृत्व में ही बैंक ने अपने रीटेल बिजनेस की शुरुआत की। बैंकिंग के क्षेत्र में अपने योगदान के कारण कोचर को कई अवॉर्डों से नवाजा गया जिसमें भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार पद्म विभूषण भी शामिल है।
इसके साथ ही वे उन दो महिलाओं में एक हैं जो कि इंडियन डॉमेस्टिक बैंक की हेड हैं। चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक को एक बड़े रीटेल फाइनेंसर के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आज चंदा कई महिलाओं की प्रेरणा हैं। उनके जज्बे और मेहनत से उन्हें आगे बढ़ने की सीख मिलती है। इनके अलावा निजी क्षेत्र का विदेशी हांगकांग एंड शांघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ( एचएसबीसी) बैंक की भारतीय शाखा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिमला में जन्मी नैना किदवई है। नैना हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
नैना के बचपन का एक दिलचस्प वाकया इस प्रकार है। बचपन में एक दिन एक प्रसिद्ध बीमा कंपनी में बतौर सीईओ कार्यरत अपने पिता की कुर्सी पर बैठीं नैना के दिमाग में भी किसी कंपनी का प्रमुख बनने की इच्छा जगी।
इसी धुन का नतीजा है कि आज वे बैंकिंग क्षेत्र की अग्रणी कंपनी ‘एचएसबीसी’ की भारत में प्रमुख और डायरेक्टर हैं। प्रसिद्ध उद्योग पत्रिका ‘फोर्ब्स’ उन्हें 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिलाओं में शामिल कर चुकी है।
फार्च्यून की ‘ग्लोबल लिस्ट ऑफ टॉप वुमेन’ में भी वह शामिल रह चुकी हैं। इसके अलावा ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ इन्हें 2006 में ग्लोबल वुमेन लिस्ट में शामिल कर चुका है और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है।
इसी कड़ी में एक्सिस बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ शिखा शर्मा भारतीय बैंकिंग दुनिया की अहम हस्तियों में से एक हैं। श्रीमती शिखा ने अपने कैरियर की शुरुआत आईसीआईसीआई, उस समय भारत की सबसे बड़ी वित्तीय सेवा प्रदाता के साथ वर्ष 1980 में की।
वे आईआईएम अहमदाबाद से पढाई पूरी करने के बाद ही आईसीआईसीआई में बतौर कर्मचारी शामिल हो गईं। आईसीआईसीआई समूह के साथ अपने 28 वर्ष के कैरियर में उन्होंने विभिन्न व्यवसायों की स्थापना की। सन 1992 में उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, जो आईसीआईसीआई और जेपी मॉर्गन का एक संयुक्त उद्यम है, की स्थापना की।
उन्होंने आईसीआईसीआई के लिए विभिन्न समूह व्यवसायों की स्थापना की जिसमे निवेश बैंकिंग और रिटेल फाइनेंस भी शामिल हैं। वर्ष 1995 में उन्हें आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में ले जाया गया और जेपी मॉर्गन के लिए प्रतिनियुक्त किया गया।
1997 में वह सामरिक योजना और विकास के महाप्रबंधक के रूप में आईसीआईसीआई में फिर से शामिल हो गईं। 1998 में वह आईसीआईसीआई निजी वित्तीय सेवाओं की प्रबंध निदेशक बन गईं।
शिखा ने अप्रेल 2009 तक आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के निदेशक के रूप में कार्य किया और एसीसी लिमिटेड में दिसंबर 2006 से लेकर मई 2009 स्वतंत्र निदेशक के पद पर कार्य किया और 1 जून 2009 से एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ और एक्सिस एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष और एसोसिएट डायरेक्टर के तौर पर कार्य कर रही हैं। बिज़नसवर्ल्ड 2012 का ‘बैंकर ऑफ़ द इयर’ का पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग उद्योग मे भी महिलाएं उच्च पदों पर आसीन रहते हुए बैंकिंग उद्योग को आगे बढ़ा रही है। स्टेट बैंक आफ इंडिया भारत की सबसे बड़ी एवं सबसे पुरानी बैंक एवं वित्तीय संस्था है। भारतीय स्टेट बैंक (स्थापित-1806 ईस्वी) के दो शताब्दियों के इतिहास में इस बैंक के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली अरुंधति भट्टाचार्या प्रथम महिला हैं।
वर्ष 1977 में बतौर प्रोबेशनरी ऑफिसर के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जॉइन किया। अपने 36 साल के करियर में उन्होंने बैंकिंग के विभिन्न विभागों में काम किया है आज वे एसबीआई जैसी भारत की प्रमुख बैंक की मुख्य अधिकारी है।
इसी क्षेत्र में भारत के चौथे पायदान की बैंक पंजाब नेशनल बैंक में सीईओ और एमडी के पद उषा अनंतसुब्रमण्यन कार्ययत है और विगत दो वर्ष पूर्व स्थापित भारतीय महिला बैंक की एमडी एमएम स्वाति है।
इसके अलावा शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र बचा हो जहां महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मजबूती के साथ कदम न बढ़ाए हों। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय है और अब तो वे जल, थल और वायु सेना में भी अपनी छाप छोड़ने लगी है।
हमें नहीं भूलना चाहिए कि जिन्होंने पाकिस्तान को पराजित किया और भारत को विश्व के सामने सीना तान कर खड़ा होना सिखाया वे इंदिरा गांधी भी महिला थी। जरूरत इस बात की है ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिला जागृति के इस आंदोलन को पहुंचाया जाए ताकि वहां की महिलाएं भी देश के विकास में अपना योगदान से सके और खुशहाल भारत की स्थापना करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके।
: पुष्पेन्द्र दीक्षित