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Lord Jagannath comes in laws with Balabhadra and Subhadra,
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भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के संग पहुंचे ससुराल

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भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के संग पहुंचे ससुराल
Lord Jagannath comes her in laws with brother Balabhadra and sister Subhadra,
Lord Jagannath
Lord Jagannath comes her in laws with brother Balabhadra and sister Subhadra,

वाराणसी। भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान के बाद बीमार हुए भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होते ही मंगलवार की शाम मनफेर के लिए बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ ससुराल की सैर पर डोली से निकल पड़े। इसी के साथ काशी के लक्खा मेले में शुमार लगभग 214 साल पुराने रथयात्रा मेले का आगाज हो गया।

इसके पूर्व अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में सुबह पंच बजे मंदिर का पट खुला। 5.30 बजे पुजारी पं राधेश्याम पाण्डेय के अगुवाई में मंगला आरती हुई। सुबह आठ बजे दूध का नैवेद्य, फिर महा नैवेद्य का भोग लगाया गया। दोपहर में आराम के बाद अपरान्ह तीन बजे मंदिर का पट खुलते ही प्रभु की कपूर आरती हुई। जिसमें ट्रस्ट श्री जगन्नाथ के सचिव शापुरी परिवार ने भी हिस्सेदारी की। फिर 3.30 पर प्रभु और भाई बहन के विग्रह का डोली श्रृंगार हुआ।

परम्परानुसार शाम चार बजे विग्रह को गाजे बाजे मंगलध्वनि के बीच डोली पर विराजमान कराया गया। डोली को आगे पीछे चार-चार कहारों ने उठाया। इसी के साथ भगवान सैर के लिए निकल पड़े। भगवान की डोली को कांधा देने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। वृन्दावन विहारी लाल की जय हर हर महादेव के उद्घोष से फिजा गुजांयमान हो गया।

डोली यात्रा जगन्नाथ मंदिर से परम्परागत मार्ग दुर्गाकुण्ड, नबाबगंज खोजवां, शंकुलधारा, कमच्छा, बैजनत्था, होते हुए रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग शापुरी भवन पंहुची। यहां पुजारियों और शापुरी परिवार के वरिष्ठ सदस्य दीपक शापुरी आलोक शापुरी ने डोली यात्रा और उसमें शामिल साधु सन्तों स्वयं सेवकों, पुजारियों, नागरिकों का स्वागत कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया।

यहां प्रभु अपने परिवार के साथ कुछ समय के लिए विश्राम करेंगे फिर रात में ही भगवान को रथारूढ़ कर रथयात्रा स्थित मेला क्षेत्र में पहुंचाया जायेगा। बुधवार की भोर में श्रृंगार व मंगला आरती होने के बाद रथारूढ़ प्रभु जगन्नाथ मंदिर के पट भक्तजनों के लिए खुल जाएगा।

स्मरण रहे ज्येष्ठ माह की भीषण गर्मी से रात दिलाने के लिए श्रद्धालुओं ने ज्येष्ठ पूर्णिमा पर प्रभु का जमकर जलाभिषेक किया। इससे भगवान अस्वस्थ हो गए और 15 दिन तक आराम किया। आयुर्वेदिक काढ़े की तासीर से स्वस्थ होने पर रविवार को उन्होंने पथ्य के रूप में परवल का जूस लिया और आज मनफेर के लिए निकल पड़े। भगवान की डोली यात्रा निकलने के पूर्व महिलाओं ने सोहर व मंगल गीत गाया और विभोर मन से ठुमके भी लगाए।

अष्टकोणीय रथ की उतारी आरती

भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग पहुंचने के साथ ही चौराहे के पास भोर में ही लाकर खड़े किए गए। अष्टकोणीय रथ की आरती उतारी गई। तीन दिनी उत्सव के दौरान प्रभु, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ इस रथ पर ही विराजेंगे।

इससे पहले बेनीराम बाग स्थित पंचमुखी हनुमान का पूजन अनुष्ठान किया गया। ट्रस्ट सचिव आलोक शापुरी, ट्रस्टी दीपक शापुरी, संजय शापुरी, शैलेश शापुरी, लक्ष्मीधर मिश्र, हिमांशु मिश्रा, आदि ने डोली को कंधा दिया और अगवानी की। उधर, बारिश के बावजूद मेला स्थल पर खिलौनों की दुकानें और चरखी झूले सज गए। परम्परागत नानखटाई की अस्थायी दुकानें भी लग गई है।