हाफिज सईद 2008 मुंबई हमले का मास्टर माइंड है, वह न केवल ईद पर, बल्कि सीमा क्षेत्र के गांवों में भारत के खिलाफ न केवल जहर उगलता है वरन कश्मीर में आतंकवादी हिंसा का खुलेआम समर्थन करता है। हाफिज आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा का संस्थापक रहा है।
अभी तक यह कहा जा रहा था कि शिक्षित मुस्लिम आतंकी गतिविधियों के विरोध में रहे हैं, लेकिन इस्लामिक विद्वान जाकिर नाईक, जाने-माने बुद्धिजीवी माने जाते हैं। वे इस्लाम के इने-गिने विद्वानों में से एक है।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जो हमला हुआ, उन आतंकियों में से दो जाकिर नाईक के समर्थन बताए जाते हैं। वे खुलेआम अपनी तकरीरो में कहते है कि हर मुस्लिम को आतंकी बनना चाहिए। उनकी तकरीरों के बारे में शिकायत भी हुई है।
केंद्रीय राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि जाकिर नाईक के उपदेशों पर सरकार की नजर है। इसलिए यह अंतर करना कठिन है कि मुस्लिम विद्वान और शिक्षित वर्ग में कौन आतंकवादियों का समर्थक है और कौन विरोध में? कई मुस्लिम शिक्षित आईएस जैसे सबसे खतरनाक आतंकी संगठन में शामिल होकर निर्दोषों का खून बहा रहे है।
मदीना की पैगम्बर द्वारा बनाई गई मस्जिद के सामने विस्फोट करने वाला भी शिक्षित मुस्लिम था। इस प्रकार मुस्लिम शिक्षित युवकों में आतंकी जहर का जुनून पैदा करने वाले जाकिर नाईक जैसे विद्वान है। ये सब मिलकर इस्लाम को किस खाई में धकेलना चाहते हैं, इस सवाल की बहस करने का अधिकार इस्लामी जगत को है।
लोगों को यह समझना कठिन है कि इस्लाम को वैश्विक धारा से काटकर क्यों रखने के प्रयास किए जाते है। एक आईएस आतंकी का कहना है कि जब तक दुनिया में शरीयत कानून लागू नहीं होता तब तक हम जेहाद जारी रखेंगे। दुनिया के सामने दो प्रकार के भयानक खतरे पैदा हो गए हैं या किए जा रहे है।
एक तो हाफिज सईद जैसे आतंकी सरगनाओं से कैसे निपटना, जो प्रत्यक्ष में आतंकी हिंसा में शामिल होते है, दूसरे जाकिर नाईक जैसे बुद्धिजीवी है जो अपनी तकरीरो से मुस्लिम युवकों को आतंकी बनने के लिए प्रेरित करते है। इस आतंकी जुनून को कैसे रोका जाए।
इस्लाम के विद्वान भी इस सच्चाई को समझते होंगे कि न दुनिया का इस्लामीकरण संभव है और न मुस्लिम देशों में भी शरीयत कानून लागू हो सकता है। जो लश्कर-ए-तोएबा, आईएस, इंडियन मुजाहिद्दीन आदि नामों से जो खूंखार आतंकी है, उन्हें ताकत से कुचलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
हाफिज सईद को तो लादेन के समान पाकिस्तान की सीमा में घुसकर पकडऩे या खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।