डरबन/नई दिल्ली। अपनी दो दिवसीय दक्षिण अफ्रीका यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को डरबन में स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय इतिहास के पदचिन्हों पर चलते हुए महात्मा गांधी से जुडी यादों को पुनः जीवित किया।
डरबन में सबसे पहले वह उस रेलवे स्टेशन पर गए जहां 1893 में गांधी को ट्रेन से नीचे उतारा गया था और उसके बाद उस स्थान का दौरा किया जिसकी स्थापना गांधी जी ने 1904 में की थी।
प्रधानमंत्री मोदी इस समय चार अफ़्रीकी देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। शुक्रवार को वह मोज़ाम्बीक से दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहांसबर्ग आये जहां उन्होंने राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा से द्विपक्षीय वार्ता की। वहां से वह डरबन गए।
सबसे पहले प्रधानमंत्री डरबन के निकट पीटरमरीटजबर्ग रेलवे स्टेशन गए जहाँ अंग्रेज़ों ने 1893 में महात्मा गांधी को ट्रेन से नीचे उतारा था। प्रधानमंत्री मोदी एक छोटी ट्रेन में डरबन स्थित पेंट्रीच रेलवे स्टेशन से पीटरमरीटजबर्ग आये और स्टेशन पर उतरे जहाँ महात्मा गांधी (उस समय मोहनदास करमचंद गांधी) को रंग-भेद के मुद्दे पर ट्रेन से बाहर निकाला गया था।
ज्यों ही प्रधानमंत्री स्टेशन पर उतरे, वहां उपस्थित दक्षिण अफ़्रीकी अधिकारियों और कुछ भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका हार्दिक स्वागत किया। वहां उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा यह वह स्थान है जहां से मोहनदास महात्मा बन गए।
उन्होंने कहा कि उस दिन एक वकील मोहनदास की यात्रा समाप्त हुई और एक महात्मा की यात्रा आरम्भ हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह उस स्थान से बोल रहे हैं जहां पर मोहनदास नाम के एक वकील को 1893 में चलती ट्रेन से नीचे उतारा गया था। मोदी ने कहा दक्षिण अफ्रीका की यात्रा उनके लिए एक ‘तीर्थ यात्रा’ बन गई है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सत्याग्रह के विषय पर आयोजित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने एक लम्बी लड़ाई लड़ी है और भारत उस लड़ाई में भागीदार रहा है। अब दोनों देश कंधे से कन्धा मिलाकर विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला आने वाली पीढ़ियों को प्रोत्साहित करते रहेंगे।
पीटरमरीटजबर्ग रेलवे स्टेशन से वह फीनिक्स सेटलमेंट गए जिसकी स्थापना महात्मा गांधी ने 1904 में की थी। यहाँ महात्मा गांधी कुछ वर्ष रहे भी थे। फीनिक्स सेटलमेंट में प्रधानमंत्री थोड़ी ही देर रहे और वहां उपस्थित लोगों के साथ चर्चा की। उन्होंने वहां एक पौधा भी लगाया।
प्रेनिक्स सेटलमेंट के पश्च्यात प्रधानमंत्री भारतीय सांस्कृतिक परिषद (आई सी सी आर) और आईटीईसी के पूर्व छात्रों और विद्वानों से मिले। प्रधानमंत्री के स्वागत में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था।
डर्बन के मेयर द्वारा आयोजित स्वागत कार्यक्रम में अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सुन्दर देश की पहचान की अपनी जीवंत विविधता है। उन्होंने कहा दोनों देशों के एक-दूसरे पर आश्रित विश्व में भारत की विकास गाथा प्रतिभाशाली है।
उन्होंने कहा डरबन भारत के बाहर सबसे बड़ा ‘भारतीय शहर’ है और यहां भारतीय समुदाय के सबसे ज़्यादा लोग रहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा रंगभेद और औपनिवेशिक शासन में भारतीयों की प्रारंभिक पीढ़ियों के कष्टों को सभी भली भांति जानते हैं।
क्रिकेट के विषय में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डरबन में यदि वह क्रिकेट के विषय में न बोलें तो ‘नो बॉल’ होगी। उन्होंने कहा क्रिकेट दोनों देशों के बीच संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और इस खेल के प्रति जूनून और प्यार समाज में काफी गहरा है।