हिसार। हरियाणा में फतेहाबाद जिले के रतिया उपमंडल के जिस ‘गंदा’ गांव का नाम बदलने की कवायद प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर चल रही है उसे यह नाम लगभग 85 साल पहले अंग्रेजों ने दिया था।
ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक बार घग्गर नदी का पानी ओवरलो होकर गोविंदगढ़ गांव तक पहुंच गया था। इससे वहां जमा गंदगी से आ रही बदबू के चलते एक अंग्रेज अधिकारी ने जब गांव को गंदा नाम से पुकारा तो गांव का नाम गंदा पड़ गया।
इंडियन स्पोट् संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कंवलदीप सिंह घणघस ने बताया कि पहले गांव का नाम गोविंदगढ़ था और यह नाम सम्मानजनक था।
घणघस ने बताया कि गांव के पास से ही घग्गर नदी गुजरती है। वर्ष 1930 के आसपास यह नदी बरसाती पानी से ओवरलो हो गई औ पानी गांव में भर गया। पानी में तूड़ा, गोबर अन्य गंदगी तैरने लगी जिससे बदबू आने लगी।
उसी दौरान एक अंग्रेज अधिकारी गांव का मुआयना करने पहुंचा। उसने वहां फैली बदबू के बारे में ग्रामीणों से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह गंदे पानी के कारण है। तब अंग्रेज अधिकारी ने उच्चाधिकारियों के समक्ष भी गांव को गंदा नाम से सबोधित किया। तभी से गांव का नाम गंदा पड़ गया।
घणघस ने बताया कि उनका गांव मुस्लिम बहुल था। आजादी के बाद काफी लोग यहां से पाकिस्तान चले गए और पाकिस्तान से लोग यहां आकर बस गए। इसके बाद भी लोग इसे गंदा के नाम से ही जानते हैं। हालांकि गांव का 33 केवी सब स्टेशन का नाम और पत्र अजीत नगर के नाम से आती है लेकिन राजस्व विभाग के रिकार्ड में गांव का नाम गंदा दर्ज है।
गत 35 साल से गांव का नाम बदलने की मांग चल रही है। अब पंचायत ने अजीतनगर के नाम से प्रस्ताव भेजा है। अब इसी नाम से गांव का नाम बदलने को लेकर गांव के सभी लोगों ने सहमति दी है। गांव का नाम बदलने की गुहार सातवीं कक्षा में पढऩे वाली एक छात्रा और लगभग 70 अन्य छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर की थी।
गांव के सरपंच लखविंदर राम ने बताया कि गत वर्ष वह गुडग़ांव में लेक्चरर का इंटरव्यू देने गए तो उनकी योग्यता और दस्तावेजों के बारे में पूछने के बाद जब उनके गांव का नाम पूछा गया। उन्होंने जैसे ही गांव जिक्र किया तो वह वहां बैठे लोग जोर-जोर से हंसने लगे जिससे उन्हें शर्मिंदगी हुई।