लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब अपने परंपरागत वोट बैंक को सहेजने में लग गयी है। पिछले 26 साल से वेंटिलेटर पर पड़ी पार्टी को आक्सीजन देने के लिए उसने 78 वर्षीया शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है।
दिल्ली की लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का उत्तर प्रदेश से पुराना रिश्ता रहा है। पंजाब में जन्म लेने के बाद दिल्ली में पढ़ी लिखी शीला उत्तर प्रदेश के बड़े कांग्रेसी नेता उमाशंकर दीक्षित के परिवार की बहू बनीं। उमाशंकर दीक्षित केंद्रीय मंत्री के साथ साथ राज्यपाल भी रहे हैं। शीला के पति विनोद दीक्षित आईएएस अफसर रहे।
वह उत्तर प्रदेश के संसदीय क्षेत्र कन्नौज से 1984 में सांसद बनीं। केंद्र सरकार में कई बार मंत्री रहीं। केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें केरल का राज्यपाल भी बनाया था।
सियासी गलियारे में चर्चा आम है कि शीला दीक्षित को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर उत्तर प्रदेश के पुराने ब्राह्मण कांग्रेसियों को एकजुट करने का प्रयास किया है। दरअसल प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 14 प्रतिशत है।
इससे पहले कांग्रेस ने गुलाब नबी आजाद को प्रदेश प्रभारी बनाकर पार्टी ने मुसलमानों को लुभाने का प्रयास किया है। मुस्लिम भी यहां कांग्रेस के परंपरागत वोट माने जाते रहे हैं, लेकिन सपा और बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों के मजबूत होते ही कांग्रेस का यह वोट बैंक छिटक गया था। कांग्रेस अब इन सब को सहेजने में लगी हुई है।
इसके अलावा भीड़ जुटाने के उद्देश्य ने कांग्रेस ने अभिनेता से नेता बने राजबब्बर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। हालांकि राजबब्बर को उप्र की सियासत में दलबदलू नेता के तौर पर देखा जा रहा है। इसी तरह शीला दीक्षित का नाम घोषित होते ही विपक्षी उनके खिलाफ भी गड़े मुर्दे उखाड़ने लगे हैं। शीला दीक्षित के मुख्यमंत्रित्व काल में दिल्ली में जो घोटाले हुए, विपक्षी उसे अपना हथियार बनाने लगे हैं।
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव को फतह करने के लिए कांग्रेस ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है। पार्टी ने राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को प्रचार समिति का अध्यक्ष और आर.पी.एन. सिंह को उपाध्यक्ष बनाया है। प्रमोद तिवारी को समन्वय समति का अध्यक्ष और डा. रीता बहुगुणा जोशी और मोहसिना किदवई को सदस्य बनाया है।
इन नामों की घोषणा कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी व गुलाम नबी आजाद ने की है। मुख्यमंत्री पद के लिए अपने नाम की घोषणा के बाद शीला दीक्षित ने कहा कि हम पूरी ऊर्जा से चुनाव लड़ेंगे और शानदार प्रदर्शन करेंगे।
शीला दीक्षित का जन्म पंजाब के कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ। दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ाई। शीला का कॉलेज के जमाने में विनोद दीक्षित से प्यार हुआ और जो शादी तक पहुंचा। विनोद दीक्षित आईएएस अफसर रहे। शीला के बेटे संदीप दीक्षित किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वो कांग्रेस के सांसद रहे हैं। उनकी एक बेटी लतिका सईद हैं।
शीला दीक्षित का सफर
उम्र 78 साल
पंजाब के कपूरथला में जन्म, उप्र के उन्नाव में शादी
यूपी कांग्रेस के बड़े नेता उमाशंकर दीक्षित की बहू
1984 में कन्नौज से सांसद बनीं
राजीव गांधी सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री
प्रधानमंत्री कार्यालय की राज्य मंत्री भी रहीं
लगातार तीन बार बनीं दिल्ली की मुख्यमंत्री
1998 से 2013 के बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री