गोरखपुर। फर्टिलाइजर कारखाना भले ही 26 सालों से बंद रहा, लेकिन इसको चालू किए जाने को लेकर हमेशा सुर्खियां बनी रहीं। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना के मुताबिक कारखाना कभी बंद हुआ ही नहीं हुआ। अब नरेंद्र मोदी चुनाव के पहले किया गया अपना वादा पूरा करने के लिए 22 जुलाई को यहां आ रहे हैं।
उर्वरक नगर में स्थित यह फर्टिलाइजर कारखाना सभी लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों के लिए मुद्दा बना। इस पर जमकर राजनीति की गई। 1990 और उसके बाद से यहां चुनावी जनसभाओं को संबोधित करने या पार्टी के अन्य बड़े कार्यक्रमों में 6 पीएम आए और चले गए, लेकिन कारखाने का साइरन नहीं बजवा सकें।
पूर्व के प्रधानमंत्रियों विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर सिंह, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, एचडी देवगौड़ा और मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में इस खाद कारखाना को दोबारा चलाने का वादा किया।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार ने खाद कारखाना को फिर चालू करने का भरोसा पैदा करते हुए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। कांग्रेस ने गैस के लिए पाइप लाइन बिछाने की पहल की थी।
नरेंद्र मोदी ने 23 मई 2014 को सांसद योगी आदित्यनाथ की मांग पर फर्टिलाइजर कारखाना को दोबारा शुरू कराने का वादा किया था। उसे पूरा कर दिखाया। इसके बाद उन्होंने पूर्वांचल के खासकर गोरखपुर को एम्स देने की बात की थी उसे भी पूरा किया। 7वें प्रधानमंत्री के रूप मे मोदी अब 22 जुलाई को अपना वादा पूरा करने आ रहे है।
बतादें कि 1998 में संचालन को राजी कभको कर्मचारियों के समायोजन पर पेंच फंसने पर बैकफुट पर चली गई। तबसे लगातार सुर्खियों में रहे खाद कारखाना को फिर से चालू करने की पहल पिछली यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी महीनों में की। प्रक्रिया आरंभ होने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार पर इसे चालू करने का भारी दबाव था।
बंद खाद कारखाना पर एक नजर
भूमि का अधिग्रहण 1962-63
परिसर संरचना- 1400 एकड़
फर्टिलाइजर स्थापना- 1969 पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी
उत्पाद- स्वास्तिक छाप यूरिया
उत्पादन क्षमता- 980 मीट्रिक टन प्रतिदिन
स्थायी अधिकारी-कर्मचारी-1100
ठेके पर कर्मचारी- 2400
आपूर्ति-पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार
बंद- 10 जून 1990 में एक दुर्घटना के बाद
राज्य सरकार द्वारा पूर्ण रूप से बंद- 31 दिसंबर 2002
परिसर में अभी भी हैं कर्मचारी और उनके परिवार-175
कनेक्टिविटी- रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा