Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
what is the best solution to the kashmir conflict
Home Breaking घाटी गैर नहीं होगी …

घाटी गैर नहीं होगी …

0
घाटी गैर नहीं होगी …

what is the best solution to the kashmir conflict

विवेकानंद शर्मा
कश्मीर कड़वा, कसैला, क्रुद्ध और कर्कश हो गया है। पर ये कड़वाहट क्या कभी मिठास में परिवर्तित हो पाएगी। प्रश्न अजीब सा है, जो लगातार करोड़ों भारतीयों को विचलित कर रहा है।

संसद ने प्रस्ताव पारित किया हुआ है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाक अधिकृत कश्मीर भी हमारा ही है। भारतीय जनता पार्टी भी वर्षों से कह रही है कि जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है।

तो फिर समस्या क्या है? इन परिस्थितियों में मुझे एक कालजयी कविता की पंक्तियां याद आती हैं कि बस नारों में गाते रहिएगा कश्मीर हमारा है, छूकर तो देखो इस चोटी के नीचे अंगारा है। घाटी में जगह जगह ये अंगारे सुलगते रहते हैं और दिल्ली की सरकारें इन अंगारों पर अरबों खरबों रूपए की सहायता राशि के नाम पर मलहम लगाती रही हैं।

कश्मीर की वास्तविक स्थितियां देखेंगे तो होश उड़ जाएंगे। मैं कश्मीर समस्या का कोई विशेषज्ञ तो नहीं लेकिन दिल्ली में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ तो पता लगा कि वास्तव में स्थिति कितनी जटिल हैं।

इन सबके बीच भारत का मीडिया, जेएनयू और बुरहान वानी के समर्थन में छाती पीट रहे लोगों की मानसिकता क्या कहती है? विचार प्रकटीकरण की स्वतंत्रता, सहिष्णुता और नरेंद्र मोदी की छवि क्या कहती है? राजनाथ सिंह, मनोहर पर्रिकर तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीति क्या कहती है?

विचार करने वाली बात यह है कि इस देश का सामान्य जन मानस इस समय घाटी में घट रही घटनाओं से क्रुद्ध है। उसे इस समस्या का स्थायी समाधान चाहिए। बस में यात्रा करने वाला देश का साधारण नागरिक हो या गांव में चाय की थड़ी पर बैठने वाला बुजुर्ग, सरकारी कर्मचारी हो या विश्वविद्यालयों का नौजवान .. सब के भीतर आग नजर आ रही है।

देश का जन मानस कह रहा है कि सेना को आदेश थमा दो घाटी गैर नहीं होगी, जहां तिरंगा नहीं मिलेगा, उनकी खैर नहीं होगी। आप हिन्दुस्थान में हैं तो आपको वतन की इज्जत करनी ही पड़ेगी और यदि कोई ज्यादा तर्क करे तो एक ही इलाज है कि लात मारकर निकाल बाहर करो उन्हें इस देश से।

गद्दारों को खूब मलाई खिला चुके, सांपों को बहुत दूध पिला दिया। ये अब भी सही रास्ते नहीं आना चाहते तो इन दुष्टों का सर्वनाश करना ही होगा। आखिर कब तक हमारी सेना का जवान वहां पिटता रहेगा। सेना वहां है इसीलिए कश्मीर बचा हुआ है, सेना के रहते हुए ये हालात हैं तो विचार कीजिए सेना की अनुपस्थिति में वहां क्या हालात हो सकते हैं।

कश्मीर हमारा है तो फिर केवल कहने से काम नहीं चलेगा, इसे प्रत्यक्ष करके दिखलाइए। पाक अधिकृत कश्मीर हमें वापस लेना है तो कार्य योजना तैयार कीजिए और बताइए देश को कि आखिर कब वह क्षेत्र हमारे नियंत्रण में होगा। वहां उगाई जा रही आतंक की फसल को जड़ों से उखाड़ना होगा।

सरकार से इस देश की जनता सीधा जवाब चाहती है, आखिर ये रोज रोज की घुसपैठ कब तक होती रहेगी, कब तक करगिल होते रहेंगे। अब जनता को फैसला चाहिए, उसके लिए झेलम का पानी लाल करना पड़े तो कीजिए किन्तु भारत माता के मस्तक को आतंक से मुक्ति चाहिए।

कश्मीर में जो अलगाववाद के समर्थक हैं उन्हें जहां सुकून मिले वही भेजिए और देश की एकता अखण्डता के लिए जो खतरा बन रहे हैं उन सब तत्वों को मसल दीजिए। यही रास्ता है, यही नीति और यही विकल्प। अब केंद्र सरकार तय करे कि उसे नेहरू पसंद हैं या सरदार पटेल।

यह भी पढें

आतंकवाद के खिलाफ कब होगी एकजुटता?
आतंकियों के जनाजों में भीड़ का मतलब?
भारत को संयुक्त राष्ट्र में गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं
आतंकी की मौत पर गद्दारों का मरसीहा
कश्मीर को सेना के हवाले किया जाए