अंकारा। तुर्की में हाल ही में हुई तख्तापलट की असफल कोशिश के बाद राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने देश में तीन महीने का आपातकाल लगाने की घोषणा की है।
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह हुई तख्तापलट की कोशिश के लिए जिम्मेदार आतंकवादी समूह का पता लगाकर उसे खत्म करने का संकल्प भी लिया है।
राष्ट्रपति ने अपने कट्टर दुश्मन एवं अमरीका में रहने वाले इस्लामी धर्मगुरू फतहुल्लाह गुलेन और उनके अनुयायियों को तख्तापलट की इस कोशिश के लिए जिम्मेदार बताया है। इस कोशिश के बाद तुर्की में करीब 50,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान में एर्दोगन ने कहा कि तख्तापलट की कोशिश में शामिल आतंकवादी समूह में शामिल लोगों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई के लिए देश में आपातकाल लगाने की जरूरत थी।
हालांकि आपातकाल लगने से सरकार की सुरक्षा संबंधी शक्तियां काफी बढ़ जाएंगी लेकिन राष्ट्रपति एर्दोगन ने लोकतंत्र से कोई समझौता नहीं करने का संकल्प लिया।
आपातकाल घोषित किए जाने के बाद राष्ट्रपति भवन में एर्दोगन की अध्यक्षता में कैबिनेट और तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठकें हुईं।
तुर्की में तख्तापलट की असफल कोशिश के बाद सुरक्षा बलों और पुलिस के कई अधिकारियों, जजों, अध्यापकों और अन्य लोकसेवकों को गिरफ्तार किया गया है, या उन्हें गोली मार दी गई है। इसके कारण सारी दुनिया में तुर्की को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही और राष्ट्रपति की इस कार्रवाई की कई देशों ने आलोचना की है।
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां मार्क ऐरो ने एर्दोगन को चेतावनी दी थी कि वह तख्तापलट की नाकाम कोशिश का इस्तेमाल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को चुप कराने के ब्लैंक चैक के तौर पर नहीं करें।
एर्दोगन ने अपने आलोचकों को आड़े हाथों लिया और फ्रांस के विदेश मंत्री को अपने काम से काम रखने को कहा था। इससे पहले अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा था कि हम इस तख्तापलट की निंदा करते है लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसकी जवाबी कार्रवाई के दौरान उस लोकतंत्र का पूरा सम्मान किया जाए, जिसका हम समर्थन करते हैं।
जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल के प्रवक्ता ने अधिक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि हम तुर्की में तकरीबन हर रोज ऐसे नए कदम उठते हुए देख रहे हैं जो कानून व्यवस्था का मजाक उड़ाते हैं और समानता के सिद्धांत का अपमान करते हैं।