धर्मशाला। तिब्बत में चीन द्वारा घोषित पंचेन लामा की अगुवाई में गुरुवार से शुरू हुई कालचक्र पूजा पर निर्वासित तिब्बतियों ने सवाल खड़े करते हुए वीरवार को मैक्लोडग़ंज में विभिन्न तिब्बती संगठनों ने धर्मगुरू दलाईलामा द्वारा घोषित 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा को याद किया।
इस मौके पर तिब्बती वूमेन एसोसिएशन, गू-चू-सूम, एनडीपीटी व स्टूडेंट्स फार फ्री तिब्बत ने मिलकर मैक्लोडगंज के मुख्य बौद्ध मंदिर परिसर में 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा के चित्र के सामने खतका यानी पूजा वस्त्र भेंट कर अपनी आस्था जताई।
इसी दौरान तिब्बती समुदाय ने 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा की रिहाई की फिर से मांग भी उठाई। मैक्लोडगंज में आयोजित इस कार्यक्रम में आज बड़ी संख्या में निर्वासित तिब्बतियों ने इक्टठे होकर तिब्बत में चल रही कालचक्र पूजा पर प्रश्न उठाते हुए उसे धोखा करार दिया है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा की रिहाई के लिए चीन पर दबाव बनाने की बात कही है।
गौर हो कि चीन सरकार द्वारा 21 से 24 जुलाई तक होने वाली इस पूजा में धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा घोषित 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा की जगह ग्यालसन नोरबू को शामिल किया गया है जिसका निर्वासित तिब्बतियों सहित तिब्बत में रह रहे तिब्बती भी विरोध जता रहे हैं।
याद रहे कि 14 मई 1995 को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने गेधुन चोयकी नीमा को 11वें पंचेन लामा के रुप में मान्यता दी थी। इसके तीन दिन के बाद ही 17 मई, 1995 से छह वर्षीय गेधुन व उनके परिजन रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब हैं।
बाद में इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों के लिए गठित कमेटी ने उठाया तो पता चला कि चीन ने उसे बंदी बनाया हुआ है।