सबगुरु न्यूज-सिरोही। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का तीन दिवसीय आपका जिला आपकी सरकार कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। शाम को वह सडक मार्ग से जयपुर लौट गई।
उनके तीन दिन के प्रवास के दौरान की गई कवायद के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक संयम लोढा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि जिले के प्रशासन को चुस्त व काम करने वाला बनाने के लिए नकारा अफसरों को हटाकर काम करने वाले अफसरों को लगाएं। तभी सुशासन आएगा।
पूर्व विधायक संयम लोढा ने कहा कि मुख्यमंत्री के समक्ष नेताओं ने केवल बत्तीसा के षिलान्यास का मामला उठाया और मुख्यमंत्री ने आनन फानन में सिरोही में 228 करोड की लागत से बत्तीसा नाला बनाने की नींव बिना जमीन आवंटन के रख दी, जो जनता के साथ मजाक साबित होगा। बत्तीसा नाला जहां पर बनना है वो भूमि वन भूमि होने से जब तक रद्दोबदल रेकर्ड में नहीं होगा तब तक उसका कार्य प्रारंभ नहीं होगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई नई घोशणा एवं सौगात नहीं दी, जिससे यह दौरा यादगार बन सके। जिले में भ्रश्टाचार एवं प्रषासनिक षिथिलता व लापरवाही जिस कदर है उसकी पूरी जानकारी मुख्यमंत्री एवं सीएमओ को है, फिर भी मुख्यमंत्री इस पर चुप्पी रखी, जिसे जनता की परेषानी दूर नहीं होगी।
पूर्व विधायक संयम लोढा ने कहा कि अपने तीन दिवसीय सिरोही प्रवास में जनाक्रोष से भयभीत मुख्यमंत्री खुद को सर्किट हाउस में पुलिस पहरे में रखे रही। आम जनता के लिए एक पल भी सर्किट हाउस के दरवाजे नहीं खुले और सुरक्षाकर्मी नागरिकों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं को धकियाते रहे। आमजनता के पैसे से कोई पैवेलियन की जनसभा में भी वे गई तो सही, लेकिन हवा की तरह लौट गई। अपनी बात कहने गए युवाओं को पुलिस ने हडकाया और मिलने तक नहीं दिया। छात्रों ने धक्के खाए और प्रभारी मंत्री सामने ज्ञापन लहराए।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का वर्तमान दौरे में सिरोही को ऐसा कुछ नया नहीं मिला, जिसकी आशा भाजपा के कार्यकर्ता एवं आम नागरिक लगाए हुए थे। वर्तमान दौरे में जनसभा में भी उन्होंने उन्हीं कार्यों का षिलान्यास किया, जिसकी घोशणा वह बजट में कर चुकी है। बजट की घोशणा के बाद ही तो षिवगंज भाजपा के कार्यकर्ता यह कहते दिखे कि उन्हें जनता के बीच हेलमेट पहनकर जाना होगा। तो मुख्यमंत्री ने ऐसा कुछ दे दिया, जिससे षिवगंज के कार्यकर्ता अब बिना हेलमेट के जनता के बीच जा पाएंगे, जिस तरह से मुख्यमंत्री ने भाजपा के पदाधिकारियों की बैठक में सवाल जवाब करके हतोत्साहित किया।
इससे यहीं प्रतीत हो रहा है कि भाजपा एक कार्पोरेट कंपनी बन चुकी है और उसके मुखिया उस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी। जिनके लिए वोट बैंक के अलावा कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के जज्बातों का कोई महत्व नहीं है। वो यह नहीं समझना चाहते की इन पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के जज्बात ही जनता के जज्बात है। अपनी मुख्यमंत्री को देखने के लिए खडे भाजपा कार्यकर्ताओं और सिरोहीवासियों के साथ जिस तरह का व्यवहार प्रषासन ने किया उससे यह अंदाजा लगाना बिल्कुल मुष्किल नहीं है कि सिरोही जिले में आकर भी सरकार जिले वासियों और भाजपा कार्यकर्ताओं से उतनी दूर थी, जितनी जयपुर रहकर रहती है। चुने हुए जनप्रतिनिधियों एवं भाजपा के पदाधिकारियों को पूरी तैयारी व मजबूती से मुख्यमंत्री के समक्ष इन सभी समस्याओं, विकास के अधुरे कार्यों एवं ढाई साल में करने योग्य कार्यों की रूपरेखा रखनी चाहिए थी, लेकिन यह सभी उसमें फैल रहे।
लोढा ने कहा कि उन्होंने जिले के विकास योजनाओं एवं उनके क्रियान्वयन में हो रही ढिलाई के बारे में तथा जिले में व्याप्त भ्रश्टाचार की पूरी जानकारी अग्रिम रूप से सरकार के ध्यान में लाई, लेकिन मुख्यमंत्री ने उस तरफ कोई कार्यवाही नहीं की, जिससे जनता को नुकसान ही होगा।
लोढा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर किसी रुप में जन सुनवाई का अवसर जनता को नहीं दिया, जिससे आम जनता व भाजपा के नेता ज्ञापन लेकर घूमते रहे।
लोढा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस दौरे में यह अहसास जरूर हुआ कि यहां की प्रषासनिक मषीनरी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को उन लोगों तक पहुंचाने में नाकारा है, जिनकों उनकी जरूरत है। कांग्रेस पार्टी ने विपक्ष की भूमिका का निर्वाहन करते हुए सरकार के समक्ष दो वर्श में वे सब मुद्दे रखे, जिनके कारण जनता परेषान है।