दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में अरबी का समावेश होता है। संस्कृत और रोमन की तरह अरबी भाषा दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। विश्व का शायद ही कोई देश होगा, जहां की भाषा में अरबी के शब्द का समावेश नहीं होता हो। उसकी लिपि चंद्राकार होती है।
अरबी जनता प्राचीन समय में रात्रि के समय ही रेगिस्तान में यात्रा किया करती थी। चंद्र जिस प्रकार घटता और बढ़ता है, उसी तरह उसकी वर्णमाला के अक्षर भी चंद्राकार का रूप धारण कर लेते हैं। शब्दों के मामले में वह इतनी धनी है कि तलवार के लिए उसके पास तीन हजार पर्यायी शब्द हैं।
हिंदी बोली को जब अरबी लिपि में लिख दिया जाता है तो उर्दू बन जाती है। इसलिए जहां तक अरबी भाषा का प्रश्न है उसकी गणना दुनिया की एक धनी और गौरवमयी भाषा के रूप में होती है। यह भी बहुधा देखा गया है कि अन्य क्षेत्र के भाषा भाषियों को जब किसी अन्य देश की भाषा समझ में नहीं आती है, तब अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है।
ऐसी ही एक घटना पिछली 19 अप्रैल को साउथ वेस्ट एयरलाइंस से यात्रा करने वाले बरकली युनिवर्सिटी के विद्यार्थी खेरूद्दीन मखजूमी के साथ घटी। खेरूद्दीन अपने मोबाइल से किसी व्यक्ति से बातचीत कर रहा था। उसके वार्तालाप को सुनकर विमान के अधिकारियों को न जाने क्या शंका हुई कि उसे विमान से उतार दिया गया।
इतना ही नहीं उसकी यात्रा को भी रद्द कर दिया। बेचारा यह विद्यार्थी बहुत समय तक तो यही नहीं समझ पाया कि उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? कोई बतलाने को भी तैयार नहीं था, लेकिन जब तक विमान उड़ नहीं गया, उसे पता नहीं चल सका। उसे पूछताछ के लिए रोक दिया गया। लंबे समय तक अनेक प्रकार के सवाल किए गए।
वह अपना पहचान पत्र ही नहीं, बल्कि साथ ले जाने वाले सामान के बारे में भी बारम्बार यह आग्रह कर रहा था कि उसे कारण तो बतलाया जाए कि उसका अपराध क्या है? अंतत: खेरूद्दीन की यात्रा रद्द कर दी गई। लेकिन पूछताछ करने वालों से जब उसने आग्रह किया कि उन्हें कारण तो बतलाना ही पड़ेगा।
विमानतल की नियमावली के अनुसार उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उस स्थान पर भेज दिया गया, जहां उसकी सम्पूर्ण तलाशी हो सके। जांच-पड़ताल करने वाले अधिकारियों ने पूछा कि वह कौन व्यक्ति है, जिससे वह बातचीत कर रहा था।
खैरूद्दीन ने न केवल उनके निवास और कारोबार के संबंध में बतला दिया, बल्कि यह भी कह दिया कि वे मेरे चाचा हैं। लेकिन पूछताछ अधिकारी उसकी कोई बात मानने के लिए तैयार नहीं थे। अंत में जांच अधिकारियों ने उस व्यक्ति के संबंध में अन्तर्राष्ट्रीय जांच-पड़ताल करने वाली एजेंसी और वहां के अधिकारियों से हर बात मालूम कर ली, उसके पश्चात खैरूद्दीन की रिहाई हुई।
जांच-पड़ताल अधिकारियों को किस कारण इतनी लंबी जांच-पड़ताल करनी पड़ी और उसकी यात्रा को रोकने एवं विमान से उतर जाने पर मजबूर किया, उसका कारण केवल एक शब्द था, जिसने सबकी नींद उड़ा दी। दूसरे दिन उक्त समाचार मीडिया में चर्चा का विषय बन गया, जिसने सुना अपना सर पीट लिया।
लेकिन विदेशी भाषा बोलने वालों को यह सीख भी मिली कि विदेश में ऐसे किसी शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए, जो उनकी जान का बवाल बन जाए। विश्व में भाषाओं के साथ-साथ असंख्य बोलियां है, जो लोग अपनों से उसी में बात करते हैं। बातचीत का माध्यम बोली के शब्द होते हैं।
यदि कोई पराया और विदेश का व्यक्ति जो उस शब्द से परिचित न हो, उस पर शंका करना आज के माहौल में एक साधारण बात है। इसलिए पढ़े-लिखे लोग ऐसी भाषा में बातचीत करते हैं, जिसे समझते देर नहीं लगती है।
अंग्रेजी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह श्रेय जाता है। इसलिए न चाहते हुए भी आज की दुनिया के सभ्य व्यक्ति अंग्रेजी के कुछ शब्द तो बोल ही लेता है, जिससे उसका काम हो जाता है, लेकिन इसमें भी दो राय नहीं कि हर नागरिक अपनी भाषा और बोली के उपयोग ही सरलता से कर सकता है।
दुनिया से गुलामी की प्रथा लगभग नाबूद हो चुकी है, लेकिन आज भी अंग्रेजी ने जो वर्चस्व जमा रखा है, उसका कोई पर्याय नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय भाषा आज भी सर पर चढ़कर बोलती है। केवल अपने व्यापार और धंधे में ही नहीं, बल्कि विदेश गमन के समय भी। नहीं तो खैरूद्दीन जैसा भुक्तभोगी कोई भी हो सकता है।
पाठक अब भी इस प्रतीक्षा में तो होंगे ही कि बेचारे खेरुद्दीन ने ऐसा क्या बोल दिया कि उसे यह सब कुछ भुगतना पड़ा। अन्य भाषाओं की तरह हर समाज और देश में कुछ शब्द ऐसे है, जिन्हें अपने वार्तालाप में बारम्बार बोला जाता है।
आपने देखा होगा कि अंग्रेजी बोलने वाले यस को या या कह कर बोलते हैं। हम हिंदी भाषी अच्छा-अच्छा शब्द बार-बार दोहराते हैं। किसी को समझे न बोलने की आदत होती है तो किसी को कोई और। इसे उर्दू में तकिया कलाम कहा जाता है। हर समाज, देश और बोलियों में ऐसे शब्द है जो बोलते समय बार-बार उपयोग में आते हैं।
इसी प्रकार अरबी और इस्लाम का जिन पर प्रभाव है, वे अपनी दिनचर्या में ऐसे शब्दों का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं, जिनमें अल्लाह शब्द बार-बार सुनाई पड़ता है। किसी बात की प्रशंसा करनी हो तो माशाअल्लाह अथवा तो सुबहानअल्ला, कोई काम शुरू करना हो तो बिसमिल्लाह, वचन देना हो तो इनशाअल्लाह।
यानी ऐसे अनेक शब्दों का उपयोग होता है, जिसमें अल्लाह शब्द का समावेश होता है। सारी दुनिया में यात्रा करते समय अरबी बोलने वाले इनशाअल्लाह शब्द का उपयोग धड़ल्ले से करते हैं। इसका सीधा सादा अर्थ होता है यानी ईश्वर ने चाहा तो। उनकी यह आस्था है कि बिना ईश्वर की इच्छा के कोई काम नहीं हो सकता है।
यहां केवल मुस्लिम का सवाल नहीं है, जिनकी भाषा अरबी है वे सभी इस शब्द का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। अब तो दुनिया में इनशाअल्लाह शब्द सर्वभाषी हो गया है, जिनका धर्म इस्लाम नहीं है फिर भी यदि वे अरबी भाषी है तो इनशाअल्लाह का उपयोग धड़ल्ले से करते हैं।
विमान यात्री अधिकतर अंग्रेजी में ही वार्तालाप करते हैं, यदि वे अनुभवी नहीं है तो उनके लिए यह शब्द नया अथवा तो शंका पैदा करने वाला हो सकता है। नहीं तो इनशाअल्लाह न तो विमान के चालकों के लिए और न ही परिचारिकाओं (एयर होस्टेस) के लिए कोई नया है, लेकिन जो इससे परिचित नहीं है अथवा तो जिन पर शंका होती है, उनके लिए इसका उपयोग करने वाला यत्री आतंकवादी प्रतीत होने लगता है। अधिकांश आतंकवादियों की हरकतें कुछ इस प्रकार की रही है कि इस शब्द का उच्चारण करने वाला शंका के घेरे में आ जाता है।
वे इसे आतंकवादियों का कोडवर्ड समझने लगे हैं। अनेक मुस्लिम यह मानते हैं कि उनके साथ इस प्रकार का अपमानित व्यवहार जानबूझकर किया जाता है। वे जानबूझकर इस्लाम फोबिया को बढ़ावा देते हैं। 19 अप्रेल को खेरूद्दीन मखजूमी वेस्ट एयर लाइंस की विमान सेवा से यात्रा कर रहे थे, लेकिन उड़ान के कुछ मिनटों पहले ही विमान से उतार दिए गए। मखजूमी केलीफोर्निया स्थित बरकली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। वे अपने चाचा से बगदाद में अपने मोबाइल पर बातचीत कर रहे थे।
यह योगायोग है कि उनके चाचा किसी आयोग के तहत राष्ट्रसंघ के अधिवेशन में इससे पूर्व भाग लेने आए थे। चाचा भतीजे इसी के संबंध में बातचीत कर रहे थे। उनके चाचा ने उन्हें अपनी बातचीत में बतलाया कि वे उनसे उस समय फिर बातचीत करें, जब विमान लंदन पहुंचेगा। तब मखजूमी ने दो बार इनशाअल्लाह इनशाअल्लाह कहा।
उनके पास में बैठी गोरी महिला को न जाने मखजूमी के इन शब्दों पर क्या शंका हुई कि उसने विमान की एयर होस्टेस से शिकायत की। एयर होस्टेस बाहर गई और दो पुलिस वालों को बुला लाई। पुलिस ने आते ही मखजूमी को विमान से उतर जाने के लिए कहा। उस बेचारे ने हर तरह के सबूत दिए और समझाया, लेकिन पुलिस सुनने को तैयार नहीं थी।
पाठकों को बतला दें कि अमेरिका में इन दिनों मुस्लिमों के लिए चेकइन व्यवस्था बिल्कुल अलग कर दी गई है। पुरुष तो ठीक मुस्लिम महिलाएं जो पश्तो, फारसी अथवा तो अरबी में बातें करती है उनके लिए स्वयं को बेगुनाह साबित करना एक कठिन काम हो गया।
मुजफ्फर हुसैन