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Maoist chief Prachanda elected as Nepal prime minister
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‘प्रचंड’ नेपाल के 24वें प्रधानमंत्री बने, निर्विरोध चुने गए

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‘प्रचंड’ नेपाल के 24वें प्रधानमंत्री बने, निर्विरोध चुने गए
Maoist chief Prachanda elected as Nepal prime minister
Maoist chief Prachanda elected as Nepal prime minister
Maoist chief Prachanda elected as Nepal prime minister

काठमांडू/नई दिल्ली। माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ बुधवार को नेपाल के 24 वें प्रधानमंत्री बने। वह नेपाल की संसद में निर्विरोध चुने गए।

नेपाल में लगभग एक दशक तक राजशाही के विरुद्ध विद्रोहियों के नेता रहे प्रचंड दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। वह पहली बार 2008 में कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इस बार नेपाल में संवैधानिक संकट के पश्चात जब प्रधानमंत्री केपी ओली ने त्यागपत्र दिया तो ‘प्रचंड’ उनकी जगह निर्विरोध प्रधानमंत्री चुने गए हैं।

नेपाली संसद में 61 वर्षीय ‘प्रचंड’ को 573 में से 363 वोट मिले। एक राजनीतिक समझौते के तहत वह 2018 के शुरू में होने वाले चुनावों से पहले नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री का कार्यभार सौंपेंगे।

‘प्रचंड’ का प्रधानमंत्री बनना उस समय लगभग तय हो गया था जब नेपाल संसद में सबसे बड़े राजनीतिक दल ‘नेपाली कांग्रेस’ और कुछ छोटे राजनीतिक दलों ने उनका समर्थन किया। ‘प्रचंड’ का दल संसद में तीसरा बड़ा राजनीतिक दल है।

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रचंड का प्रधानमंत्री बनना भारत के लिए अच्छा समाचार नहीं है क्योंकि उनका चीन की ओर भारत से अधिक झुकाव है।

वह 2008 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के पश्चात सबसे पहले चीन गए थे जबकि परंपरा रही है कि भारत के साथ निकटतम सम्बन्ध होने के कारण नेपाली प्रधानमंत्री सबसे पहले भारत आते हैं।

नेपाल में बार-बार सरकार बदलने से देश का विकास कार्य रुक गया है और राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता को धक्का पहुंचा है। नेपाल पिछले कुछ वर्षों से संवैधानिक संकट से जूझ रहा है जिसके कारण वहां स्थिर सरकार नहीं बन पाई है।

पिछले वर्ष नेपाल में आये भयंकर भूकंप के कारण लगभग 9000 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी और देश का अधिकांश भाग नष्ट हो गया। इससे पैदा हुए आर्थिक संकट से नेपाल को उभरने में काफी समय लग रहा है।

नेपाल के नए संविधान बनने के पश्चात देश में मधेसी समुदाय ने आंदोलन छेड़ दिया जिसके कारण भारत से आने वाली आवश्यक वस्तुएं और सहायता सीमा के पार नहीं जा सकीं।

इससे नेपाली लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। नेपाली लोगों ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया।