नई दिल्ली। मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने की मांग को लेकर 16 सालों से अनशन पर बैठी इरोम शर्मिला ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ लिया। अनशन तोड़ते हुए भावुक हुई शर्मिला ने इच्छा जताई कि वह मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं और वहां के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती हैं।
इरोम ने शहद के साथ अपना अनशन तोड़ा। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह अपनी रणनीति में बदलाव कर रही हैं। अब वह राजनीति में आना चाहती हैं। इरोम ने कहा कि मैंने अपना संघर्ष खत्म नहीं किया है। मैं अहिंसा का रास्ता अपनाऊंगी।
मुझे आज़ाद किया जाए। मुझे अजीब सी महिला की तरह देखा जा रहा है। लोग कहते हैं, राजनीति गंदी होती है, मगर समाज भी तो गंदा है। मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर अमल किया है।
उन्होंने कहा कि वह सरकार के ख़िलाफ़ चुनाव में खड़ी होंगी। वह अब तक सबसे कटी हुई थी लेकिन वह कोई केवी नहीं हैं बल्कि मनुष्य हैं और मनुष्य बनकर ही सब कुछ कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि वह राजनीति में आना चाहती हैं क्योंकि उन्हे मणिपुर की ‘आयरन लेडी’ कहा जाता है और वह इस नाम को बरकरार रखना चाहती हैं।
इरोम जमानत बॉन्ड भी भर दिया। वकील ने बताया कि इम्फाल की अदालत कोर्ट ने इरोम शर्मिला को 10 हजार रुपए के पर्सनल बॉन्ड पर रिहा कर दिया है। अदालत ने उनसे कहा कि जमानत बांड भरने के बाद वह जो चाहे कर सकती हैं।
साल इरोम ने 2000 में सुरक्षा बलों द्वारा 10 आम लोगों की हत्या के बाद मणिपुर से आफ्स्पा हटाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरू की थी। भूख हड़ताल पर बैठने के तीन दिन बाद ही उन्हें मणिपुर सरकार ने खुदकुशी की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।
उन्हें अब तक नाक के जरिए तरल पद्धार्थ दिया जा रहा था। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अनशन खत्म कर राजनीति में आने और लोगों की सेवा करने का फैसला किया था। 44 साल की इरोम ने शादी की भी इच्छा जताई थी।