नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को कश्मीर हिंसा में पाकिस्तान का हाथ होने से सम्बंधित खुलासा किया। साथ ही दावा किया है कि आतंकियों के माध्यम से पाकिस्तान कश्मीर में हिंसा भड़काने का काम कर रहा है।
एनआईए ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कश्मीर में जिंदा पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान आतंकी बहादुर अली से पूछताछ में पता चला है कि उसे पाकिस्तान की तरफ से सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल कमांडर बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी में मारे जाने के बाद कश्मीर में हुई हिंसा को और भड़काने और घाटी में फैली अंशाति का फायदा उठाने का निर्देश दिया गया था।
एनआईए ने बताया कि बहादुर अली से पूछताछ के आधार पर ऐसे कई सामने तथ्य सामने आए, जिनसे भारत में आतंकवाद फैलाने के पीछे पाकिस्तान के हाथ होने बात सामने आई है। पूछताछ में बहादुर अली ने बताया कि फौज भारतीय सीमा में हथियारबंद आतंकियों की घुसपैठ करा रही है।
ये आतंकी आम लोगों के बीच घुल-मिल जाते हैं और फिर हिंसा की आग भड़काते हैं। बहादुर अली इसी मकसद से आया था। बहादुर अली ने बताया कि 2008-09 में हाफिज सईद के संगठन जमात इल दावा ने उसे भर्ती किया था फिर उसे पाक में लश्कर के ठिकानों पर प्रशिक्षण दिया गया और फिर कश्मीर में माहौल बिगाड़ने का काम सौंपा गया।
एनआईए ने बताया कि 11-12 जून को बहादुर अली अपने दो साथियों साद और दर्दा के साथ भारतीय सीमा में दाखिल हुआ था। इस दौरान वह पाकिस्तानी सेना के अधिकारी हैदर के संपर्क में था।
एनआईए के मुताबिक बहादुर अली भारतीय सीमा में दाखिल होने के बाद अपने दोनों साथियों से अलग हो गया था। बहादुर के बाद जापान के वायरलेस सेट का मॉडिफाइ वर्जन था। यह वही कर सकता है, जिसकी इलेक्ट्रॉनिक्स में उच्च स्तर का प्रशिक्षण हो। भारत में घुसने के बाद बहादुर एक गांव में रुका और तीन-चार दिन वहीं रहा।
बहादुर अली पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित कंट्रोल सेंटर अल्फा 3 से अपने आकाओं के संपर्क में था, जहां से उसे निर्देश दिया जाता था। इस कंट्रोल सेंटर से बहादुर अली को बताया जाता था कि कब हमला करना है, कहां से खाना मिलना है और कब लोगों से घुलना-मिलना है।
बहादुर अली एक महीने से कश्मीर में था। एनआई ने बताया कि बहादुर अली ने पूछताछ में बताया कि अल्फा थ्री से उसके आकाओं ने उसे बताया था कि लश्कर का कैडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी का माहौल बिगाड़ने में कामयाब रहा है। एनआईए ने बहादुर अली के कबूलनामे का विडियो भी दिखाया।
एनआईए ने बताया कि पूछताछ के दैरान बहादुर अली ने बताया कि जमात उल दावा भर्ती होने के बाद उसे शुरुआत में अपने गांव से जिहाद फंड जुटाने का काम दिया गया था। इसके बाद मौलाना अब्दुल रहीम ने उसे विडियो दिखाकर भड़काया और लश्कर में शामिल कर किया।
इसके बाद उसे तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया। पहले उसने पाक मनशेरा मे दौरा-ए-तुलबा का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद अक्सा में दौरा-ए-आम 14 में प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उसे 30 दिन की दौरा-ए-खास प्रशिक्षण दिया गया।
बहादुर अली ने बताया कि 30 से 50 आतंकी प्रशिक्षण के दौरान कैंप में रहते थे। प्रशिक्षण कैंप में पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों के साथ-साथ कुछ पश्तो बोलने वाले आतंकी भी होते थे। इन युवकों को अफगानिस्तान भेज दिया जाता था।
बहादुर ने बताया कि पाकिस्तान में भारत में मारे जाने वाले आतंकियों का नमाज-ए-जनाजा निकाला जाता है और उनके लिए नमाज अदा की जाती है। वह भी साउथ कश्मीर में मारे गए अबू कासिम के नमाज-ए- जनाजे में शामिल हुआ था।
एनआईए ने बताया कि पुलिस को खबर मिली थी कि इलाके में संदिग्ध आदमी घूम रहा है और लोगों के बीच घुलने मिलने की कोशिश कर रहा है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास हाई क्वॉलिटी का ट्रांसमिशन सेट, भारतीय मुद्रा, यूनिकोड शीट, जीपीएस आदि बरामद किया गया।
एनआईए के मुताबिक पूछताछ में उसने अपने नाम बहादुर अली पुत्र मोहम्मद हनीफ बताया। उसने अपना पता रायविंड, लाहौर बताया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर एक-47 समेत हथियारों का जखीरा बरामद किया है।