मुंबई। अभय देओल ने कुछ चुनिंदा फार्मूलों पर चलने वाले फिल्म उद्योग में खुद अपने लिए कुछ मानक स्थापित किए हैं, हालांकि अभय देओल को यह भी लगता है कि देश में बगावती होने और बने बनाए ढांचे से अलग कुछ भी करने को हतोत्साहित किया जाता है।
आय ने करीब एक दशक पहले इम्तियाज अली की फिल्म ‘सोचा न था’ से अभिनय जगत में कदम रखा था और कुछ व्यावसायिक विज्ञापनों को छोड़कर उन्होंने तब से अभी तक लीक से हटकर विषय-वस्तु वाली फिल्मों में ही काम किया है।
चालीस साल के अभिनेता ने कहा कि देश की जड़ें अपनी परंपराओं में गहरी धंसी हुई हैं और लोगों के लिए इसे तोडऩा या लीक से हटकर कुछ अलग करना बहुत मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि हमें हमारी परंपराओं ने बनाया है, जबकि हमारे मामले में यह थोड़ा और अलग है, क्योंकि हम परंपरावादी हैं। हमारा इतिहास 5,000 साल पुराना है, जो करीब करीब हमारे जीन का हिस्सा बन गया है। इसे कैसे तोड़ा जा सकता है।
अभय ने कहा कि उदाहरण के लिए अमरीका का कोई अपना इतिहास नहीं है। यहां एक रमानी बगावत है। जबकि हमें विद्रोही होने पर नीचा दिखाया जाता है। यह एक तरह की बेइज्जती है। यह अपमान है। बने बनाए ढांचे से बाहर सोचने को यहां हिकारत से देखा जाता है। अभय ने कहा कि हमेशा धाराओं के विपरीत तैरना बहुत मुश्किल होता है।
उल्लेखनीय है कि साल 2005 से अपने अभिनय की शुरुआत करने वाले अभय देओल ने ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडरÓ, ‘ओए लक्की, लक्की ओए’ और ‘देव डी’ जैसी फिल्मों में काम किया है।