संयुक्त राष्ट्र । संयुक्तराष्ट्र महा-सचिव बान-की-मून ने भारत से कार्बन से उत्सर्जन में कमी लाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित भावी प्रतिबद्धता जून तक घोषित करने की अपील की है। उनका कहना है कि भारत की रचनात्मक भूमिका अगले साल पेरिस में वैश्विक जलवायु समझौते को संभव करने लिए महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने को लेकर अमेरिका तथा चीन की उल्लेखनीय घोषणाओं के मद्देनजर अब भारत पर नजर है।
बान ने कहा कि भारत भविष्य में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की अपनी राष्ट्रीय स्तर पर तय प्रतिबद्धता (आईएनडीसी) बारे में पेरिस में 2015 में होने वाले जलवायु सम्मेलन से पहले जून तक घोषणा करे। उसी सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर नया वैश्विक समझौते को स्वीकार किया जाना है।
अपने बढ़ते उत्सर्जन को काबू में करने को लेकर भारत की तरफ से जतायी जाने प्रतिबद्धता को लेकर उम्मीद के बारे में बान ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये जून 2015 तक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित भावी प्रतिबद्धता की घोषणा भारत के लिये बेहद लाभदायक होगा। यह भारत के खुद के विकास के लिये उपयुक्त है।
बान की-मून ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि पेरू की राजधानी लीमा में सभी देश पेरिस समझौते के मसौदे पर सहमत होंगे। मैं भारत को महत्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका के लिये प्रोत्साहित करुंगा जो अगले साल अर्थपूर्ण, वैश्विक जलवायु समझौते को अगले साल संभव बनाएगा।
अमेरिका और चीन की पिछले महीने घोषणा के मद्देनजर बान ने सभी देशों खासकर बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों से यथासंभव 2020 के बाद के लिये महत्वकांक्षी घोषणा करने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि यह घोषणा 2015 की पहली तिमाही से पहले हो।
उन्होंने कहा कि कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में निवेश का आर्थिक मतलब है। स्वास्थ्य सुधार तथा बेहतरी के लिये इसका मतलब है और इसका मतलब पर्यावरण संरक्षण है।