नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों की बैठक शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू हुआ था। 26 दिनों की इस अवधि के दौरान सदन की 20 बैठकें हुईं। इसमें लोकसभा में 15 और राज्यसभा में 14 विधेयक पारित हुए।
वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े हर लेन-देन पर वस्तु एवं सेवा कर लगाने के लिए संविधान में आवश्यक प्रावधान करने के लिए संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2016 संसद में पारित हो गया, जो एक ऐतिहासिक विधेयक है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा वसूले जा रहे अनेक अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा और इसका उद्देश्य करों के व्यापक असर को खत्म करना एवं वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक साझा राष्ट्रीय बाजार सुलभ कराना है।
सत्र के दौरान वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों और संबंधित विनियोग विधेयक पर लोकसभा में चर्चा हुई और ये पारित हुए। मानसून सत्र के दौरान अध्यादेशों अर्थात भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2016 और दंत चिकित्सक (संशोधन) अध्यादेश, 2016 का स्थान लेने वाले दो विधेयकों पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई और ये पारित हुए। औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) विधेयक, 2013 को राज्यसभा में वापस ले लिया गया।
मानसून सत्र के दौरान 15 विधेयक (लोकसभा में 14 और राज्यसभा में 1) पेश किये गये। सत्र के दौरान लोकसभा में 15 विधेयक और राज्यसभा में 14 विधेयक पारित हुए। लोकसभा की उत्पादकता 110.84 प्रतिशत और राज्यसभा की उत्पादकता 99.54 प्रतिशत रही।
संसद के दोनों सदनों में पारित विधेयकों में जैव प्रौद्योगिकी के लिए क्षेत्रीय केंद्र, प्रतिपूरक वनीकरण निधि विधेयक, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक, भारतीय न्यास (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक, प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक, लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन विधेयक, संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, प्रतिभूति ब्याज प्रवर्तन एवं ऋण वसूली कानून व विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक पारित हो गए जबकि कराधान कानून (संशोधन) विधेयक और विनियोग (संख्या 3) विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में सदन की सिफारिशों के लिए भेजे गए। राज्यसभा में इनकी प्राप्ति की तिथि से लेकर 14 दिनों की अवधि के अंदर इन विधेयकों को लोकसभा को वापस लौटाए जाने की संभावना नहीं है।