नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सरकार से पूछा है कि आखिर ट्रांसजेंटर पुरुष से महिला बने दो लोगों का नाम बदले जाने में उन्हें क्या आपत्ति है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने दिल्ली के दो लोगों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं । दोनों हाल ही में पुरुष से स्त्री बने हैं और सरकारी रिकॉर्ड में अपना नाम और लिंग बदलवाना चाहते हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और गजट प्रकाशित करने वाले प्रकाशनों के नियंत्रक की ओर से पेश वकील से उच्च न्यायालय ने पूछा, ‘‘क्या आपने अपने राजपत्र (सार्वजनिक जर्नल) में किसी भी नाम परिवर्तन को प्रकाशित नहीं किया है? लिंग बदलना अलग बात है। एक नाम बदलने में क्या समस्या है?’’
सरकारी वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा कि वह इस बारे में परामर्श कर न्यायालय को अवगत करायेगी। उन्होंने कहा कि हाल ही में 2 अगस्त को संसद में कानून पेश किया गया है जो इस तरह की समस्याओं का समाधान करेगा। न्यायालय ने मामले की सुनवाई को 4 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस बात का प्रमाणपत्र पेश करने के बावजूद की उन्होंने अपना लिंग परिवर्तन किया है उनके आवेदन स्वीकार नहीं किये जा रहे।