पटना। पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण की हत्या के मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत से सोमवार को चार लोगों को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर उनके पुत्र विजय मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह फैसला न्याय के करीब नहीं है क्योंकि अदालत ने जिन्हें दोषी ठहराया है, वे निर्दोष हैं।
मिश्रा ने कहा कि हत्या का मुख्य आरोपी अब भी कानून की पहुंच से काफी दूर हैं। उन्होंने न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिह्व खड़े हुए कहा कि जब 40 साल में कानून असली हत्यारें सजा नहीं दे सकती तो इससे न्याय का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
वहीं ललित नारायण मिश्रा के पौत्र ऋषि मिश्रा ने पूरे मामले पर ही प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि अदालत को यह निर्देश देना चाहिए था कि अपनी जांच में पुलिस अन्य सबूतों का पता लगाने के साथ साथ इस बात की भी जानकारी हासिल करे कि आखिर किसके कहने पर स्व. मिश्रा को समस्तीपुर में घायल होने के बाद इलाज के लिए पटना भेजा गया था।
ऋषि ने कहा कि इस बात का भी पता लगाया जाना चाहिए कि उनके दादाजी पर हमले के समय उनके साथ कौन-कौन लोग मौजूद थे। उन्होंने कहा कि उनके साथ साथ पूरा देश इस बात को जानना चाहता है कि घायल तत्कालीन रेल मंत्री को लेकर एमआर स्पेशल ट्रेन को पटना पहुंचने में आठ घंटें क्यों लग गए। उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करने की बजाए आखिर क्यों सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि इन सवालों का जवाब खोजे बिना अदालत का यह फैसला न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि वो अपने फैसले में मेरी गुहार पर भी विचार करे।
इस बीच स्व. मिश्रा के भाई और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने कहा है कि फैसला आने में 39 साल लग गए लेकिन दोषियों को सजा मिली इसका उन्हें संतोष है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद कुछ ऎसे सवाल रह गए हैं जिसके उत्तर अभी तक नहीं मिले हैं। लोगों के मन में आज भी यह सवाल है कि आखिर इस हत्या का मकसद क्या था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेम चन्द्र मिश्रा ने कहा कि जिन लोगों को अदालत के फैसले पर आपत्ति है, वे इसे उपरी अदातल में चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्व. मिश्र के पुत्र विजय कु मार मिश्र इस मामले में राजनीति कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि दो जनवरी 1975 को जब तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा एक नई लाइन का उदघाटन समस्तीपुर में कर रहे थे तभी बम विस्फोट में रेल मंत्री गंभीररूप से घायल हो गए। बाद में इलाज के क्रम में राजधानी पटना के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।