वाराणसी। गंगा खतरे के निशान को पार करने के बाद भी फिलहाल राहत देने के मूड में नही दिख रही है। शनिवार को गंगा में बढ़ाव की रफ्तार में कमी तो दर्ज की गई है लेकिन जलस्तर बढ़ने से लोगों की सांस अटकी हुई है। गंगा का रौद्र रूप और उसके तेजी से तटीय इलाकों में प्रवेश करने से लोगो में दहशत व्याप्त है।
शीतला घाट से गंगा सब्जी मंडी दशाश्वमेध मछली मार्केट के मोड़ के आगे बढ़ने लगी है। बाढ़ नियन्त्रण कक्ष के अनुसार गंगा का जलस्तर दोपहर 12बजे 71.74 मीटर रिकार्ड किया गया। एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ भयावह हो रही गंगा को देख जिला प्रशासन ने बीते शुक्रवार की शाम ही एनडीआरएफ को बाढ़ पीढ़ित क्षेत्र में उतार दिया। शनिवार को भी एनडीआरएफ की टीम बचाव राहत कार्य में जुटी हुई थी।
इधर जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने राहत कार्य में तेजी लाते हुए मातहतों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए आवश्यक सामान सुलभ कराने के साथ उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए राहत शिविर भी बढ़ा दिए हैं। नावों को भी बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए लगाया गया है।
जिस तरह से बढ़ाव हो रहा है उससे तटवर्ती इलाके जिनमें सामने घाट की कई कालोनियों के साथ महेशनगर, बालाजी नगर नगवा में बाढ़ के पानी ने स्थिति को काफी गंभीर कर दिया है। लोग घर छोड़ रहे हैं, लेकिन खाली घर छोड़ने के डर के मारे खतरे के बावजूद लोग रह रहे हैं। उन्हें डर है कि वे बाढ़ से बचने के लिए घर छोड़ें उधर चोर सब उड़ा न दें।
इसी के चलते कई लोग बाढ़ में फंस गए जिन्हें निकालने के लिए अब एनडीआरएफ की मदद ली जा रही है। इन क्षेत्रों में प्रशासनिक मदद के साथ सामाजिक संगठन भी राहत पहुंचा रहे हैं। गंगा में बढ़ाव के कारण शवदाह का कार्य और कठिन हो गया है। लोगों को जगह न मिलने पर शवदाह के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
मणिकर्णिका घाट पर तो कुछ लोग घर में मौत के बाद जहां क्रियाक्रर्म की तैयारी कर रहे हैं तो दूसरी ओर एक व्यक्ति पहले घाट पहुंच कर नम्बर लगा रहा है। नगरीय विद्युत वितरण मंडल (द्वितीय) के अधीक्षण अभियंता अनिल वर्मा ने बताया कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में क्षेत्रीय सभासदो की अनुशंसा पर विद्युत दुर्घटना टालने के लिए विद्युत आपूर्ति बंद कर दी गई है।
मां गंगा निषादराज सेवा समिति के अध्यक्ष विनोद निषाद ने बताया कि मांझी समाज बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए अपनी नावों के साथ 24 घंटे तैयार हैं।
दूसरी ओर वरूणा भी उफान पर है। उससे प्रभावित कालोनी तथा मुहल्लों की हालत और खराब हो गयी है। इसके चलते सरायमोहाना, सरैया, कोनिया, पुल कोहना, पुराना पुल, शैलपुत्री, नक्खीघाट, हुकुलगंज, चैकाघाट, वरूणा पुल के साथ कई और इलाके प्रभावित हुए हैं। वरुणा ने ग्रामीण क्षेत्र में सेवापुरी और रामेश्वरम में कई गांवों को अपनी आगोश में ले लिया है जिससे लोग परेशान हैं।