नई दिल्ली। जिगिशा हत्याकांड मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को दिए अपने फैसले में 2 दोषियों को फांसी की सज़ा और एक को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है।
अदालत ने तीनों दोषियों पर नौ लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया है। इनमें से छह लाख रूपए पीड़िता के परिवार को मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे।
अदालत ने कहा कि यह राशि पर्याप्त नहीं है इसलिए उन्होंने कानूनी सहायता प्राधिकरण से पीड़िता के परिवार के लिए उपयुक्त मुआवजे का निर्धारण करने के लिए कहा।
जिगिशा घोष एक आईटी प्रोफेशनल थी जिसकी 2009 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। दिल्ली की साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने इस मामले में दो दोषियों रवि कपूर और अमित शुक्ला को मौत की सजा सुनाई है।
जबकि तीसरे दोषी बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा दी है। इससे पहले अदालत ने 20 अगस्त को सजा पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने सजा सुनाते हुए इसे ‘निर्मम’ हत्या करार दिया। रवि कपूर और अमित शुक्ला को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि इन्हें इनकी मौत होने तक फांसी पर लटकाया जाए।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि महिलाओं के खिलाफ भयावह अपराधों की संख्या बढ़ रही है और अपराधियों के साथ जरा भी नरमी बरती जाने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह अपराध बेहद निर्मम तरीके से अंजाम दिया गया। पीड़िता असहाय थी और उसे घंटों तक बंधक बनाकर रखा गया था। बाद में अपराधियों ने क्रूरता से उसकी हत्या कर दी।
उन्होंने कहा कि इस अपराध में बरती गई क्रूरता इसे दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में लाती है। न्यायाधीश ने कहा कि रवि कपूर और अमित शुक्ला के बारे में मिली रिपोर्ट के अनुसार उनके सुधरने के कोई आसार नहीं हैं।
रिपोर्ट में बलजीत का आचरण सामान्य बताया गया है और उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई। ऐसे में वह समाज के लिए खतरा नहीं है।
28 वर्षीय जिगिशा का 18 मार्च 2009 को उस समय अपहरण कर लिया गया था, जब वह दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में तड़के चार बजे अपने दफ्तर की कैब से उतरी थी। इसके बाद उसका शव तीन दिन बाद हरियाणा के सूरजकुंड के पास से मिला था।