सिरोही। राष्ट्र गौरव वीरचंद राघवजी गांधी की 153 वीं जन्म जयंती पर देव नगरी सिरोही के हीरसूरी उपासरे में गणिवर संघचन्द्र विजय महाराज की निश्रा में उनका स्मरण किया गया।
जैन समाज के मुख्य टिलायत किशोर चैधरी ने उनकी तस्वीर पर मालार्पण करते हुए बताया कि वीरचंद गांधी ने 1893 में अमेरिका के शिकागों में आयोजित प्रथम ’’विश्व धर्म संसद’’ में जैन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। 25 अगस्त 1864 में गुजरात के महुआ में जन्में गांधी ने 20 वर्ष में स्नातक उत्तीर्ण कर 21 वर्ष में लंदन से ’’बार-एट-ला’’ की उपाधि प्राप्त की। स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड कर उन्होंने अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द कर राष्ट्र हित में अनेक कानूनी लडाई लडी।
अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक महासंघ की ओर से पूरे देष में मनाए जा रहे जन्म जयंती समारोह में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना जो संदेश महासंघ को भेजा। इसका पठन महासंघ के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमलेश चैधरी ने किया। चैधरी ने बताया कि 14 भाषाओं का ज्ञान रखने वाले गांधी जैन समाज के पहले बेरिस्टर थे और उन्होंने देश में अकाल के दौरान अमेरिका से पूरी स्टीमर भरकर गेहूं व 40 हजार रुपये की सहायता तब भेजी थी। विद्वान व प्रख्यात गांधी ने अनेक विषयांे पर पुस्तकें भी लिखी हैं जो प्रकाशित भी हुई है।
अमेरिका में जैन धर्म की यषोगाथा व धर्म ध्वजा को फहराने का जो कार्य किया उसे कभी भुलाया नही जा सकता। वीर गांधी के बारे में स्वामी विवेकानंद के विचार ’’यह गांधी कठोर शीतल जलवायु में शाक सब्जी को छोडकर कुछ ग्रहण नहीं करता। अपने धर्म व राष्ट्र इसके रोम रोम में समर्पित हैं। महात्मा गांधी ने उनके बारे में कहा था कि ’’बैरिस्टर वीर चंद गांधी बहुत अच्छे मित्र की तरह मुझे भारतीय कानूनों की जानकारी देेकर समझाते थे’’। महादेव गोविन्द रानाडे ने उनके बारे में लिखा है कि ’’ मिस्टर वीरचंद गांधी ने हिन्दुस्तान की सेवा अमेरिका मे की हैं। उन्होंने हमारे लिए जो परिश्रम किया इसलिए मैं उनका उपकार मानता हूं।’’ 26 अगस्त 2015 को भारतीय संसद के बालयोगी सभागार में युवक महासंघ के तत्वाधान में ’’गांधी बिफोर गांधी’’ नाटक का मंचन किया गया जो देश भर में अनुमोदनीय रहा।
महासंघ के अन्र्तराष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंघी ने बताया कि वीरचंद गांधी ने शिकागो में धर्म संसद में तब कहा था ’’आश्चर्य तो इस बात पर होना चाहिए कि विदेशियों के निरन्तर आक्रमण होने पर भी भारत की आत्मा अपनी जिजीविषा और तेजस्विता के साथ अभी भी जीवित है। उसके आचार और धर्म इतने ज्यादा परिपक्व है कि आज भी पुरा संसार टकटकी लगाये भारत की ओर देख रहा है। हमारे लिए सारा विष्व ही एक कुटुम्ब है।’’ महाराज ने कहा कि जैन समाज के इस गौरवशाली महापुरुष के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार नही होने से उनका व्यक्तित्व छुपा हुआ है, लेकिन युवक महासंघ ने इनका जन्म जयंती प्रति वर्ष मनाकर आम जन तक उनके बारे में जानकारी कराने का जो बीड़ा उठाया है वो अनुमोदनीय व प्रशंसनीय है।
जन्म जयंती समारोह में युवक महासंघ के स्थानीय कार्यकर्ता योगेश बोबावत, अश्विन शाह, नितेश सिंघी व अनुप कांगटानी ने बढ चढ कर भाग लिया व सुशीला देवी प्रकाशराज मोदी परिवार ने ऐसे महापुरुष की जयंती पर मिठाई वितरण का लाभ लिया।
संघ सेवक षा भुरमल वीरचंद कैलाशनगर इस विरले पुरुषा की जीवनी को देष के विमित्र भागो में पहुॅचाने के लिए पिछले 10 वर्शो से अपनी सेवाएं दे रहे हैं इस निमित उनकी भी अनुमोदना श्री संघ ने करतल ध्वनि से की। भारत सरकार ने 8 नवम्बर 2009 को 5 रूपये का डाक टिकट भी उनके सम्मान में जारी किया।