नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को अपने 33 लाख कर्मचारियों को तोहफा देते हुए पिछले दो वर्षों के बोनस बकाये का भुगतान अविलंब करने और अकुशल गैर कृषि श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 246 रूपए से बढाकर 350 रूपए प्रतिदिन करने की घोषणा की।
विभिन्न मजदूर संगठनों के नेताओं से बातचीत के बाद अंतरमंत्रालय समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। जिसकी जानकारी केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने बताया कि बोनस की यह राशि 2014-15 और 2015-16 की बकाया थी। जिसे देने के लिए तत्काल अधिसूचना जारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि बढी हुई न्यूनतम मजदूरी के हकदार सी श्रेणी के श्रमिक होंगे।
फैसले के अनुसार राज्य सरकारों से कहा गया है कि वह इस न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा भी दे सकते हैं पर कम नहीं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली और कर्नाटक राज्य इससे ज्यादा मजदूरी दे रहे हैं।,
श्रमिक संघों ने आगामी शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर हडताल करने का आह्वान किया हुआ है। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने श्रमिक संगठनों से अपनी प्रस्तावित हडताल वापस लेने की अपील की है।
बैठक में लिये गये अन्य फैसलों के अनुसार केंद्र सरकार बोनस के भुगतान संबंधी उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमों के जल्द निस्तारण के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
अनुबंधित कर्मचारियों और उनकी सेवाएं मुहैया कराने वाली एजेंसियों का पंजीकरण कानून के तहत अनिवार्य होगा। राज्यों को इस पर सख्ती से अमल करने की सलाह दी गई है। इस संबंध में दोषी ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आंगनवाडी, मिड—डे मील, आशा कार्यकर्ताओं जैसे असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के मामले की एक समिति अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट जल्द देगी।
सभी राज्य सरकारों को यह भी सलाह दी जाएगी कि वह श्रमिक संगठनों का पंजीकरण 45 दिन के भीतर किया जाना सुनिश्चित करें। केंद्र सरकार ने त्रिपक्षीय सलाह प्रक्रिया के प्रति अपने संकल्प को दोहराया है। उद्योगों से जुडे मामलों को उसी क्षेत्र से संबंधित बैठकों में सुलझाया जाएगा।
अंतर मंत्रालय समिति की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और उर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।