नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के किसानों को राहत देते हुए राज्य के सिंगूर में विवादस्पद टाटा नैनो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत की गई करीब 1,000 एकड़ जमीन के अधिग्रहण को गलत बताते हुए रद्द कर दिया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को जमीन को अपने कब्जे में लेने और 12 हफ्तों के भीतर किसानों को उनकी जमीन वापस करने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत के इस फैसले से टाटा कंपनी के साथ-साथ वामपंथी पार्टियों को करारा झटका मिला है। 20016 में तत्कालीन पश्चिम बंगाल की सरकार ने टाटा मोटर्स को नैनो प्लांट लगाने के लिए यह जमीन दी थी।
कोर्ट ने तत्कालीन बुद्धदेब भट्टाचार्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने सत्ता के साथ छल किया। निजी कंपनी के लिए ज़मीन अधिग्रहण करना जनहित का फैसला नहीं होता और राज्य सरकार ने इस मामले में सही तरीके से नियमों का पालन नहीं किया, इसलिए यह अधिग्रहण पूरी तरह गैरकानूनी है।
राज्य सरकार ने उस वक्त विरोध कर रहे किसानों की बात तक नहीं सुनी और उन्हें अधिग्रहण के लिए सही मुआवजा भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि जिन किसानों को मुआवजा मिल चुका है, उनसे वापस नहीं लिया जा सकता, क्योंकि एक दशक से वह अपनी जीविका से वंचित हैं।
इससे पहले, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था, जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। किसानों ने सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी किए जिसका नेतृत्व ममता बनर्जी ने किया था।
हालात को देखते हुए टाटा ने नैनो प्रोजेक्ट को गुजरात में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन टाटा का यह भी कहना था कि सिंगूर की इस जमीन का इस्तेमाल वह किसी और परियोजना के लिए करेगी।