वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी में शनिवार को हरतालिका तीज पर्व की तैयारियां घरों में चलती रही। अखंड सुहाग की कामना से निराजल रह मनाए जाने वाले इस कठिन पर्व को लेकर सुहागिन महिलाओं में जबरदस्त उत्साह है।
दिन भर महिलाएं पूजन सामग्री के साथ नई साड़ियां चूड़ियां खरीदने के लिए बाजारों में जुटी रही। वहीं सजने संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों में भी महिलाओं की भीड़ जुटी रही।
महिलाओं के साथ युवतियों और किशोरियों में भी हाथ में महावर रचाने की होड़ रही। उधर लोग अपनी बहन बेटी और बहुओं को तीज पहुंचाने के लिए दिनभर भागदौड़ करते रहे।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाये जाने वाला यह पर्व रविवार को है। माना जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को भगवती पार्वती ने शादी से पहले किया था।
इस सम्बन्ध में ज्योतिषाचार्य और विद्वान आचार्य डा.राजकिशोर पाण्डेय ने बताया कि इस बार तीज का पर्व काफी सुखद संयोग में है। तृतीया तिथि 4 सितम्बर को सुबह 5 बजे ही लग जाएगा। इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें।
उन्होंने बताया कि पूजा करने का सही समय शाम 6 बजकर 04 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक है। इस दौरान की गई पूजा शुभ है।
भगवती पार्वती ने घने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिये लगातार तप किया था। जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।
मां मंगला गौरी का भव्यतम श्रृंगार
काशी के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान प्रमुख नौ गौरियों में एक सौभाग्य का प्रतीक मंगल प्रदायिनी माता मंगला गौरी का भव्य श्रृंगार व महाआरती परम्परानुसार हरतालिका तीज पर्व पर रविवार को किया जाएगा।
कार्यक्रम संयोजक पं. तरुण पाण्डेय ने बताया कि ब्रम्ह मुहूर्त में माता मंगलागौरी का षोडशोपचार पूजन ,चण्डी पाठ के बीच महाश्रृंगार कर महाआरती की जाएगी। इस अवसर पर काशी की पांच विशिष्ट महिलाओं को नारी शक्ति सम्मान से अलंकृत भी किया जाएगा।
बताया कि मां मंगलागौरी के दर्शन मात्र से सुख-सौभाग्य और मंगल की वृद्धि होती है। पति के सौभाग्य, दीर्घायु और आरोग्य के लिए हरितालिका तीज के दिन माता मंगला गौरी के दर्शन-पूजन का विधान है।