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RSS has a national vision to uplift the country says hastimal
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स्वर्णिम, सुन्दर और समरस हो देश, यही संघ का प्रयास : हस्तीमल

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स्वर्णिम, सुन्दर और समरस हो देश, यही संघ का प्रयास : हस्तीमल
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अजमेर। पूज्य जैन संत आदरणीय प्रमाण सागर महाराज के पावन सान्निध्य में एकत्र हुए स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य हस्तीमल ने कहा कि हम ऐसा देश चाहते हैं जो स्वर्णिम, सुन्दर और समरस हो।

भारत ने पूरी दुनियाँ को शांति का संदेश दिया। जिन देशों ने युद्ध किया वे नष्ट हो गए, जिसने महात्मा बुद्ध दिया वे अमर हो गए। हमारे देश की देन है- बुद्ध और महावीर, प्रेम और करूणा, शान्ति और संयम, अनुशासन और अपरिग्रह, तप, त्याग।

जो आनन्द त्याग में है वह ओर कहीं नहीं। संघ इसी परम्परा को अपना रहा है, कोई नया पंथ नहीं बना रहा है। संतों का आशीर्वाद प्राप्त कर समाज की दुर्बलताओं और दोषों को दूर करने में संघ लगा हुआ है।

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व्यक्ति को महत्व मिलने पर उसके लिए समाज गौण हो जाता है। संघ ने व्यक्ति को समाज के लिए, देश के लिए जीने वाला बनने का संस्कार दिया है। हम कमजोर नहीं बनेंगे, समर्थ बनेंगे शक्तिशाली बनेंगे।

भारतीय केवल मानवता का नहीं, अपितु पूरी सृष्टि का चिंतन करते है। भारत का व्यक्ति जहाँ भी गया, उसने शांति का संदेश दिया। न अन्याय किया, न अत्याचार किया, न अशांति की, न माँ-बहनों का अपमान किया। सबका सम्मान किया। दुनिया के अधिकांश देश भारत का आभार मानते है, जिसने दुनियाँ को सभ्यता दी और जीवन जीना सिखाया।

देशभर में संघ की लगभग 52,200 शाखा हैं, जहां प्रतिदिन स्वयंसेवक एकत्र होकर अपना शरीर, मन, बुद्धि अच्छी रखने के लिए विविध कार्यक्रम करते हुए अंत में भारत माता की प्रार्थना करते हैं।

संघ को सत्ता की अपेक्षा नहीं हैं और सत्ता से विरोध भी नहीं है। संघ पर प्रारम्भ से ही अरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। किन्तु संघ ने चिन्ता नहीं की, बहुत अधिक उत्तर नहीं दिया। केवल संगठन खड़ा किया, यह संगठन ही उसका उत्तर देगा।

संघ को किसी के प्रति न ईर्ष्या है, न द्वेष है। संघ का विश्वास है कि आज नहीं तो कल संघ के विरोधी संघ को समझेंगे।

भगवा ध्वज के बारे में हस्तीमल ने कहा कि उसका ध्वज संघ का बनाया हुआ नहीं है। यह रंग संतों का हैं, बलिदानियों का हैं, उगते हुए सूर्य का हैं। संघ व्यक्तिवादी नहीं है, उसने भगवा ध्वज से प्रेरणा लेते हुए, उसे अपना गुरू माना हैं। संघ का कार्य समाज जागरण का हैं। संघ को समझना हैं तो संघ के निकट आकर देखें।