नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक देश में आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए एक अहम कानून बन गया है।
इस विधेयक के कानून बनने के बाद देश भर में विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लागू होगा साथ ही अब वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अलग-अलग कर समाप्त हो जाएंगे और पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा।
बीते अगस्त माह में संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों द्वारा इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। संसद द्वारा 8 अगस्त 2016 को जीएसटी विधेयक को मंजूरी दी गई।
संसद द्वारा इस संविधान संशोधन को मंजूरी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी को कर आतंकवाद, भ्रष्टाचार तथा कालेधन को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया था।
उन्होंने इसे लोकतंत्र की उच्च परम्पराओं तथा सभी दलों की विजय करार दिया था। संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते इसे राष्ट्रपति सचिवालय के द्वारा विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी के लिए भेजा गया था।
29 राज्यों में से 17 राज्यों ने इसे पारित किया। भाजपा शासित असम इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करने वाला पहला राज्य है।
उसके अलावा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नगालैंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, सिक्किम, मिजोरम, तेलंगाना, गोवा, ओडिशा और राजस्थान की विधानसभा ने भी इस विधेयक को पारित किया। मंजूरी मिलने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था।