जयपुर। राजस्थान में न्यायिक भ्रष्टाचार को लेकर पिछले 62 दिनों से आंदोलनरत वकील पीछे हटने को तैयार नहीं है। उधर, हाईकोर्ट जज भी वकीलों के दबाज में नहीं आ रहे। गुरूवार को राज्य के 10 अतिरिक्त महाधिवक्ताओं के इस्तीफा दे देने के बाद वकीलों ने न्यायिक प्रशासन पर उनके खिलाफ दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया है।…
ऑल राजस्थान एडवोकेट्स संघर्ष समिति के संयोजक गोपेशकुम्भज एवं महासचिव संजय व्यास ने कहा कि न्यायपालिका भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए वकीलों के खिलाफ दमनकारी नीति अपनाकर अनुचित दबाव बनाया जा रहा हैं जो उचित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के महाधिवक्ता एवं अतिरिक्त महाधिवक्ता सहित राजकीय अधिवक्ता हमारे आंदोलन के साथ हैं लेकिन न्यायालय प्रशासन द्वारा इन पर अनुचित तरीके से दबाव डाल रहा है और इससे दुखी होकर दस से अधिक अतिरिक्त महाधिवक्ताओं ने इस्तीफे दे दिए हैं और वकील समुदाय इनके जज्बे को सलाम करता है।
उन्होंने न्यायपालिका से आग्रह किया कि संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से वार्ता कर इस गतिरोध को दूर कराने का प्रयास किया जाए। इस आंदोलन को दबाने के लिए अपनाए गए अनुचित तरीके से समस्या का हल निकलने वाला नहीं हैं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा नए अधिवक्ताओं की भर्ती की विज्ञप्ति जारी करने का विरोध करते हुए कहा कि नई भर्ती के लिए कोई भी वकील आगे नहीं आएगा।
महाधिवक्ता नरपतमल लोढा ने 10 अतिरिक्त महाधिवक्ताओं द्वारा इस्तीफा देने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस्तीफा देने वालों में जोधपुर पीठ के दो तथा जयपुर पीठ के आठ अतिरिक्त महाधिवक्ता शामिल हैं।
जयपुर पीठ के अतिरिक्त महाधिवक्ता एस.के.गुप्ता, जगमोहन सक्सेना, राजेन्द्र प्रसाद, अनुराग शर्मा, जी एस गिल, इंद्रजीत सिंह, धर्मवीर ठोलिया एवं श्याम आर्य तथा जोधपुर पीठ से पुष्पेन्द्र सिंह भाटी तथा श्याम सुन्दर ने इस्तीफा दिया हैं।
ऑल राजस्थान एडवोकेट्स संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का मानना है कि अतिरिक्त महाधिवक्ताओं को गत शुक्रवार को वार्ता के लिए बुलाकर हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने मामले की पैरवी करने का दबाव डाला तथा सनद समाप्त करने की चेतावनी दी तो गुरूवार को वकील समुदाय की एकजुटता के लिए इन लोगों ने अपने इस्तीफे दिए हैं।