बोकारो। लगभग सवा साल बाद पर्वतपुर कोल ब्लॉक अब सेल के कब्जे में आ गया है। इसकी सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। इलेक्ट्रो स्टील के हाथों से छिन जाने के बाद लंबे समय से वीरान पड़े पर्वतपुर कोल ब्लॉक में अब जल्द ही बहार लौटने की उम्मीद है।
राज्य सरकार के भू-राजस्व मंत्री अमर कुमार बाउरी तथा डीसी राय महिमापत रे के सार्थक प्रयास से पिछले एक सप्ताह से अधिक दिनों तक परिसम्पत्तियों के आकलन की चली प्रक्रिया के बाद पर्वतपुर कोल ब्लॉक अब कोल इंडिया (बीसीसीएल) के हाथ से निकलकर सेल के अधीन आ गया है।
विधिवत हस्तांतरण के बाद शीघ्र ही यहां से कोयलेे का उत्पादन भी चालू होने को है, साथ ही यहां बेरोजगार हो चुके लगभग ढ़ाई हजार मजदूरों की जिंदगी फिर से संवर सकती है।
सेल इस खदान से 30 सितम्बर, 2016 से कोयले का उत्पादन शुरू करना चाहता है और इसके लिए जिला प्रशासन ने सेल को हरसंभव सहयोग देने का भरोसा दे रखा है।
इसी कड़ी में पर्वतपुर कोल ब्लॉक को स्टील ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया को सरकारी मंजूरी मिलने के उपरांत अब खनन पट्टा आवंटन को लेकर सेल प्रबन्धन व जिला प्रशासन रेस हो चुके हैं।
इसके तहत डीसी के निर्देश पर गुरुवार को चंदनकियारी अंचल कार्यालय में कम्पनी के पर्वतपुर कोल ब्लॉक के सहायक महाप्रबन्धक आरपी सिन्हा, जिला खनन पदाधिकारी चिंतामणी महतो एवं अंचलाधिकारी डॉ प्रमोद राम ने उक्त कोल ब्लॉक केलिए निकटवर्ती कुल 12 गांवों के 2175 एकड़ भूमि पर खनन पट्टा आवंटन किए जाने का प्रस्ताव उपायुक्त बोकारो को भेजा।
इस पर शीघ्र ही खनन पट्टा की स्वीकृति के उपरांत कोयला उत्पादन की सम्भावना जताई जा रही है। बता दें कि पर्वतपुर कोल ब्लॉक के दायरे में आने वाले कुल 12 गांव, फतेहपुर, तालगाड़िया, सिलफोर, नायावन, तिलाटांड़, देवग्राम, नावाडीह, अमलाबाद, बिराजडीह, करमाटांड एवं डिबरदा को मिलाकर लगभग 9 वर्ग किलोमीटर की परिधि में सेल द्वारा पर्वतपुर कोल ब्लॉक में उत्पादन शुरू करेगी।
कंपनी सूत्रों के अनुसार कोलियरी इंक्लाइन बनेगी, क्योंकि कोयले की परत जमीन के नीचे होने के कारण ओपेन कास्ट ब्लॉक बनाने से उत्पादन लागत बढ़ सकती है। ऐसे में सम्बंधित गांव के जनसंख्या या आबादी पर भी प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
गांव और जमीन के ऊपरी भू-भाग में होनेवाले कार्यों को बगैर स्थानांतरित किए ही कोयला उत्पादन कार्य शुरू किये जा सकेंगे। जिससे निकट भविष्य में ही उत्पादन शुरू हो सकता है।
कोल ब्लॉक में उत्पादन शुरू होने से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से क्षेत्र के हजारों परिवार लाभान्वित होंगे। बेरोजगारी का दंश झेल रहे हजारों ग्रामीणों को निकट भविष्य में ही रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।
गौरतलब है कि इलेक्ट्रो स्टील ने 1430 एकड़ में फैले इस कोल ब्लॉक में वर्ष 2006 से उत्पादन करना शुरू किया। यह अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित कोल माइंस थी, जिसकी उत्पादन क्षमता 230 मिलियन टन प्रतिवर्ष थी।
मिथेन गैस से प्रभावित होने के बावजूद यह सेफ्टी माइन्स थी और इसने जीरो एक्सीडेंट में कोयले का उत्पादन किया। इसका अपना कोल वाशरी भी है, जो नई तकनीक पर आधारित है।
इसी बीच कोयला घोटाले के मामले में केन्द्र सरकार ने इलेक्ट्रो स्टील को आवंटित पर्वतपुर कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द कर दिया और तकनीकी खामियों के कारण इलेक्ट्रो स्टील को उक्त कोल ब्लॉक का आवंटन दुबारा नहीं मिल सका।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केन्द्र सरकार ने 31 मार्च 2015 की मध्य रात्रि से पर्वतपुर कोल ब्लॉक का कस्टोडियन कोल इंडिया लिमिटेड (बीसीसीएल) को बना दिया था। इसी बीच भारत सरकार ने पर्वतपुर कोल ब्लॉक का आवंटन सेल (भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड) को दे दिया।
इससे इसमें काम करने वाले मजदूरों की किस्मत बदलने तथा सेल द्वारा इसके रख-रखाव से कोल-ब्लॉक की भी स्थिति सुधरने के आसार तेज हो गए हैं।