कानपुर। बकरीद के नजदीक आते ही शहर के तमाम बकरा मंडियों में सस्ते व महंगे बकरे बेचे जा रहे है लेकिन पाकिस्तानी बादल नामक बकरा लोगों के लिए कौतूहल बना हुआ है।
लगभग एक सप्ताह के बाद बादल को आखिरकार मुम्बई के कारोबारी मोहम्मद रजा ने 15 लाख रूपए देकर खरीद लिया।
नई सड़क, बाकरगंज और जाजमऊ में थोक और फुटकर बकरों की मंडी पिछले एक सप्ताह से लगी हुई है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष बकरों के रेट में बढ़ोत्तरी हुई है।
रविवार को बकरमंडी मे पांच हजार से लेकर पांच लाख तक के बकरे बिके। तो वहीं बेकनगंज के बकरा कारोबारी आकिब खान का पाकिस्तानी बकरा बादल 15 लाख में बिका।
आकिब ने बताया कि दो साल पहले पाकिस्तान के क्वेटा शहर से मात्र पांच हजार रूपए में बकरा खरीदकर लाए थे। उस समय बकरा महज तीन माह का था। क्वेटा के किसान ने ही उसका नाम बादल रखा था।
बादल को खरीदने के लिए दिल्ली के एक कारोबारी ने 13 लाख की बोली लगाई है, लेकिन मंडी में मौजूद मुम्बई के व्यवसाई ने इसकी बोली 15 लाख लगा दी है।
रविवार की सुबह बादल की बोली 50 हजार से शुरू हुई और शाम तीन बजे तक 15 लाख रूपए पहुंच गई। बादल को मुम्बई से आए चमड़ा कारोबारी मोहम्मद रजा ने खरीदा है।
क्वेटा से ला चुके हैं सौ से ज्यादा बकरे
आकिब ने बताया कि वह बकरे खरीदने और बेचने का काम दस साल से करते आ रहे हैं। वह कुर्बानी के लिए स्वस्थ व तंदुरस्त बकरे खरीदते और बेचते हैं।
आठ साल पहले उनके चच्चा उन्हें पाकिस्तान अपने साथ ले गए थे, जहां उन्होंने क्वेटा शहर के बकरा कारोबारियों से मेरा परिचय कराया।
मैने पहली बार वहां से दस बकरे लेकर आया और उन्हें पाल पोश कर तैयार किया। आकिब के मुताबिक वह अभी तक पाकिस्तान से करीब सौ बकरे ला चुके हैं और अच्छा मुनाफा कमाया है।
सात से आठ सौ रूपए प्रतिदिन का खर्चा
आकिब ने बताया कि बादल को दो साल में तैयार करने के दौरान उन्हें काफी पैसे खर्च करने पड़े। बादल की रोजना की डाइट सात से आठ सौ रूपए आती है। जिसमें वह बकरे को चार लीटर दूध, सौ ग्राम देशी घी, चार किलो चना, दो दर्जन केला, दो मक्खन बंद, 22 गड्डी पत्ता गोभी, दो पैकेट रस, दो किलो गेहूं, एक किलो मकाई हर रोज खिलाते हैं। बादल की उम्र करीब ढाई साल की हो गई है और वजन दो कुन्तल है।