नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी दलों के हंगामे के बीच शुक्रवार को कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक-2014 पारित हो गया, जिसमें 204 कोयला ब्लॉकों की नीलामी के नियम तय किए गए हैं, जिनके आवंटन सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिए थे। कोयले की कमी के कारण देश में विद्युत उत्पादन में आए गंभीर संकट को दूर करने तथा लाखों मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार यह विधेयक लाई थी।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जारी एक अध्यादेश का स्थान अब यह विधेयक लेगा। इस विधेयक को बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने दो दिन पहले सदन में विचारार्थ पेश किया था। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने 1970 के फैसले को पलटते हुए कोयला क्षेत्र का निजीकरण करने का आरोप लगाया।
विपक्षी दलों के सदस्यों, विशेषकर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने विधेयक की उचित जांच-परख के लिए उसे संबंधित स्थायी समिति को भेजने की मांग की।
सिंधिया और बनर्जी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए गए 74 कोयला ब्लॉकों की नीलामी के लिए न तो सरकार द्वारा इससे पहले जारी अध्यादेश और न ही इस विधेयक की जरूरत थी।
सिंधिया ने कहा कि कोयला क्षेत्र को नया रूप देने का यह एक शानदार अवसर है, जिसे जाया किया जा रहा है। सिंधिया ने देश के कुल कोयला उत्पादन का 80 फीसदी उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनी कोल इंडिया को पुनर्गठित करने की मांग की।