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kapil murder case: culprits killed killed for loot
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कपिल हत्याकांड का खुलासा, जानिए पढ़िए किस तरह दिया हत्या को अंजाम

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कपिल हत्याकांड का खुलासा, जानिए पढ़िए किस तरह दिया हत्या को अंजाम

kapil muder case

सबगुरु न्यूज-जालोर । झरनेश्वर मार्ग पर करीब पौने दो महीने बाद कपिल हत्याकांड के आरोपियों को जालोर पुलिस ने हैदाराबाद से पकडने के बाद बुधवार को इसका खुलासा कर दिया। बड़े ही शातिर अंदाज में बहुत ही कम समय में इस अपराध को अंजाम देने की योजना बना ली थी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कपिल की हत्या के मुख्य आरोपियों को पुलिस दल के वहां पहुंचने की जानकारी मिल चुकी थी, ऐसे में उस दल में गए कांस्टेबल को मारने के लिए चाकू खरीद लिया था।

पुलिस  ने कपिल हत्याकांड का खुलासा करते हुए बताया कि सिरेाही निवासी कपिल की हत्या लूट की नीयत से हुई थी। जिस ज्वेलर्स को वह ज्वेलरी का सेंपल दिखाने के लिए गया था, उसी ने इस ज्वेलरी को हथियाने के लिए इस लूट की योजना बनाई थी। बाद में लूट के लिए उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस इस प्रकरण में शामिल एक होमगार्ड कर्मी को पहले ही गिरफतार कर चुकी है। पुलिस ने मुख्य आरोपित नरेश माली व रमेशपुरी गोस्वामी के साथ ही सहयोगी प्रकाश मीणा, लक्ष्मणनाथ व प्रकाश उर्फ राजू को गिरफ्तार कर लिया।

इस हत्याकांड में शामिल अमन, देवाराम देवासी, जीतूसिंह रावणा राजपूत की तलाश जारी है। ज्वैलर्स राजेंद्र कोठारी को दस्तयाब कर पूछताछ की जा रही है। हत्याकांड के मुख्य आरोपित नरेश माली व रमेशपुरी गोस्वामी पहले से ही आपराधिक वारदातों में लिप्त रहे हैं। नरेश माली भीनमाल के एक हत्याकांड में जेल गया है और वर्तमान में जमानत पर है। जबकि नरेश माली व रमेशपुरी ने पूर्व में विराणा गांव में लूट की वारदात को भी अंजाम दिया था। लूट व हत्या के अलावा दोनों आरोपितों के खिलाफ अन्य मामलों में भी चालान पेश हो रखा है।
सिरोही जिले के पाडीव गांव निवासी कपिल ज्वेलरी का विक्रेता था। इसके लिए वह जगह-जगह जाकर सेंपल दिखाकर आॅर्डर लेता था। इसी काम के लिए वह 19 अगस्त को सिरोही के अपने गांव पाडीव से जालोर आया। वह यहां पर कई दुकानों पर सेंपल दिखाकर मुख्य बाजार में स्थित दर्शन ज्वेलर्स के मालिक राजेन्द्र कोठारी के यहां भी पहुंचा।

सेंपल दिखाने के बाद राजेन्द्र को लालच आ गया, इस पर जैसे ही कपिल उसकी दुकान से उतरा उसने अपने मित्र जालोर निवासी जितेंद्रसिंह उर्फ जीतूसिंह फोन करके ज्वेलरी के सेंपल लेकर घूम रहे कपिल के बारे में बताया। उसे बताया कि कपिल के पास काफी सोना है उसे लूट लिया जाए तो वारे-न्यारे हो जाएगा।

इस पर जीतूसिंह ने इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी रमेश पुरी व नरेश माली को राजेन्द्र से हुई वार्ता के बारे में बताया। दोनों को लूट की योजना पसंद आई और वह लूट की योजना को अंजाम देने के लिए वाहन की व्यवस्था के लिए होमगार्ड प्रकाशी मीणा के पास गए। उससे उसकी बाईक ली और लूट की योजना के बारे में बताते हुए इसमें हिस्सा देने का लालच भी दिया। बाईक लेने के बाद इन लोगों ने उसके नम्बर प्लेट हटा दी।
-बस स्टैण्ड ले जाने के बहाने मोटरसाइकिल पर बैठाया
कपिल हत्याकांड में शामिल युवक किस कदर शातिर थे इसका पता इसी से चल जाता है कि उन्होंने लूट की योजना के साथ ही बैकअप प्लान भी बनाया हुआ था। इस वैकल्पिक प्लान के तहत कपिल का अपहरण करने की योजना भी थी। इसके लिए चैपहिया वाहन की आवश्यकता के लिए उन्होंने देवाराम देवासी और अमन नाम के युवकों को अपने साथ लिया। ताकि अपहरण करना पडे तो वाहन में डालकर उसे ले जाया जा सके।

देवाराम की गाडी लेकर यह लोग उसके अपहरण का भी मौका ताडते रहे इसके लिए जीतूसिंह ने कपिल की रैकी भी की। जीतू ने नरेश, रमेश, देवाराम व अमन को तिलकद्वारा पर आने के लिए कहा। कपिल से लूट का प्लाॅट तैयार किया, जिसके तहत पहले तो उसे मोटरसाइकिल पर जबरन बैठाने की योजना थी, यदि यह प्लान कारगर नहीं होता तो जबरन देवाराम की इनोवा में डालकर सुनसान जगह पर जाकर सामान लूट लिया जाता।

योजना को अंजाम देने के लिए रैकी भी होती रही और कपिल जैसे ही अग्रवाल हाॅस्पीटल रोड स्थित एक ज्वेलर्स की दुकान से सैम्पल दिखाकर निकला तो उसे वहां नरेश मिला। कपिल ने उसे बस का पूछा तो नरेश ने उसे वहां छोडने की बात कहते हुए अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा लिया। कुछ दूरी पर चलने पर रमेश उसे मिल गया तो नरेश ने उसे कपिल के पीछे बैठा लिया।

लेकिन बस स्टैण्ड के तक धीरे मोटरसाइकिल चलाते हुए नरेश ने बस-स्टैण्ड से मोटरसाइकिल की स्पीड बढा दी और वह उसे झरनेश्वर रोड ले गया। इन्हीं के पीछे देवाराम अमन के साथ इनोवा में इनके पीछे-पीछे पहुंच गया।
-रफतार के कारण उतर नहीं पाया कपिल
मोटरसाइकिल की रफतार बढने से ही कपिल को अनहोनी की आशंका हो गई थी। उसने मोटरसाइकिल रुकवाने की कोशिश भी की, लेकिन रफतार तेज होने के कारण वह ऐसा नहीं कर सका। जैसे ही बाइक रुकी उसने भागने की कोशिश की। लेकिन, रमेश और नरेश ने कपिल को पकड लिया और उसके हाथ से ज्वेलरी को बैग छीनने का प्रयास किया। विरोध करने पर इन दोनों ने कपिल पर चाकूओं से एक के बाद एक कई वार कर दिए।

उसे वहीं छोडकर इनोवा मे बैठकर भाग गए। इन लोगों ने बाइक अमन को दे दी ताकि वह उसे प्रकाश को सौंप दे और उसे बाद में कठाडी आने को कहा। अमन ने प्रकाश को बाइक को बिशनगढ लेने को आने को कहा, लेकिन वह इसे पहाडपुरा में ही लावारिस हालत में छोडकर निकल गया। बाद में प्रकाश ने यह बाइक वहां से ली।
-वापी में की हिस्सेदारी
इनोवा में देवाराम, नरेश व रमेश बालोतरा, सांचैर, अहमदाबाद, सूरत होते हुए वापी पहुंचे। जहां से देवाराम व अमन अपना हिस्सा लेकर फरार हो गए। नरेश व रमेश वहां से बैंगलूरु पहुंच गए। रास्ते में नरेश ने अपने ममेरे भाई प्रकाश को मामले की जानकारी दी और माल बेचने में सहयोग करने को कहा।

इस पर वह तत्काल तैयार हो गया। इस दौरान प्रकाश ने आभूषणों को अपने कब्जे में लेकर कुछ आभूषण बेच दिए और उसके रुपए नरेश व रमेश को दिए। साथ ही दोनों को अपने एक मित्र के यहां रुकने के लिए मैंगलोर भेज दिया। बाद में प्रकाश खुद भी मैंगलोर पहुंच गया और बचे हुए आभूषण रमेश व नरेश को दिए और उन्हें हुबली होते हुए हैदराबाद पहुंचने के लिए कहा। जबकि खुद अपनी प्रेमिका के साथ बैंगलूरू आ गया।

इन जगहों पर दोनों ने प्रकाश उर्फ राजू, लक्ष्मणनाथ के साथ बार बालाओं पर जमकर रुपए उड़ाए। ये लोग बार में शराब की पार्टी करने के साथ ही लूटे गए माल से मिली सोने के मोतियों की माला को बार बालाओं को पहनाने से भी नहीं चूके।

-पुलिस ने हैदाराबाद मे पकडा
इसके बाद नरेश व रमेश अपने हिस्से का माल लेकर हैदराबाद पहुंच गए। वहां पर यह छिपते रहे। हैदराबाद में रमेश ने अपने मित्र जालोर के आसनपोल निवासी लक्ष्मणनाथ को बुलाया और माल का बंटवारा किया। नरेश फिर से बैंगलूरु लौट गया और रमेश व लक्ष्मणनाथ हैदराबाद में ही रहे।

इधर, इन लोगों की तलाश में पुलिस निरीक्षक बाबूसिंह के नेतृत्व में हैड कांस्टेबल विनोद कुमार, कांस्टेबल वी.पी. सिंह ने रमेशपुरी व सह आरोपी लक्ष्मणनाथ वहां पहुंचे और इन्हें दस्तियाब किया। वहीं उप निरीक्षक भीखाराम के नेतृत्व में कांस्टेबल बाबूलाल व सुरेश ने मुख्य आरोपी नरेश व सह आरोपी राजू उर्फ प्रकाश को बैंगलूरु से दस्तियाब किया।

वहां से आरोपियों को जालोर लाया गया। उप निरीक्षक भीखाराम के नेतृत्व में कांस्टेबल बाबूलाल व सुरेश ने मुख्य आरोपी नरेश व सह आरोपी राजू उर्फ प्रकाश को बैंगलूरु से दस्तियाब करने की सूचना नरेश का मिल गई थी। कांस्टेबल सुरेश की ओर से आरोपितों को पकडने के लिए सक्रिय भूमिका को देखते हुए नरेश ने उसे मारने की योजना बना ली थी। इस मकसद से उसने एक चाकू भी खरीदा था। ताकि सुरेश को उससे मार सके। लेकिन इससे पहले ही वह धरा गया।