मुंबई। हिन्दी फिल्म अभिनेत्री रिचा चड्ढ़ा को लगता है कि महिलाओं के साथ देश में होने वाले व्यवहार के लिहाज से या उत्सव मनाने के तरीके से लिहाज से धर्म बस पाखंड का दूसरा नाम बन गया है।
अभिनेत्री ने कहा कि वह ‘धार्मिक’ नहीं हैं लेकिन आध्यात्मिकता से उनका गहरा जुड़ाव हैं और वह इसके बारे में जितना ज्यादा पढ़ती हैं, उन्हें समाज में महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर उतनी ही हैरानी होती है।
उन्होंने कहा कि मैं इस देश में रहती है, इसकी संस्कृति का काफी ख्याल रखती हूं। मैं धार्मिक नहीं हूं लेकिन आध्यात्मिक हूं, इसलिए इसके बारे में काफी पढ़ती हूं। उदाहरण के तौर पर हिन्दू धर्म और हमारी संस्कृति में शिव एवं शक्ति का महत्व।
रिचा ने कहा कि इस बारे में भी पढ़ती कि दुर्गा और सीता कैसे महत्व रखती हैं, हर देवी ने बदलाव में कैसे भूमिका निभायी। और फिर जब मैं लोगों के साथ बुरा व्यवहार करते देखती हूं, मैं बहुत उलझन में पड़ जाती हूं। धर्म पाखंड का दूसरा नाम हो गया है।
उन्होंने कहा कि इसी तरफ गणेश विसर्जन के दौरान लोग शराब के नशे में धुत होते हैं, तेज आवाज में अश्लील गाने बजते हैं। लोग इसे जश्न मनाने के बहाने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। अगर आप कुछ कह दें तो वह कहते हैं कि आप अपनी संस्कृति का सम्मान नहीं करते।