उदयपुर। मेवाड़ के राजसमंद जिले के राजवा गांव में किसी घर में सोमवार को चूल्हे नहीं जले। सभी लोग उरी आर्मी हैड क्वार्टर में हुए आतंकी हमले में शहीद हवलदार निम्बसिंह रावत के परिजनों को ढांढस बंधाने में लगे हैं।
पत्नी रोड़ी देवी के अलावा शहीद की चार बेटियां तथा एक पुत्र का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी को दुख है कि उसका सुहाग नहीं रहा लेकिन उसे गर्व है कि उसका पति शहीद हुए। वह अपने इकलौते बेटे को ऐसा सपूत बनाएगी ताकि वह भी देश के लिए काम आए।
लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित उरी सेक्टर में रविवार को आर्मी हैड क्वार्टर पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में मेवाड़ की माटी का भी एक सपूत शहीद हो गया।
राजसमंद जिले के भीम उपखंड की बिलियावास तहसील के राजवा गांव के निम्बसिंह रावत के शहीद होने का समाचार जैसे ही सोमवार सुबह गांव में पहुंचा तो वहां मातम छा गया। शहीद हवलदार निम्बसिंह रावत की पार्थिव देह दिल्ली से एयर इंडिया की फ्लाइट से दोपहर बाद उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पहुंची।
जहां से सडक़ मार्ग के जरिए उसे वाया मावली होते हुए नाथद्वारा, राजसमंद केलवा, गोमती व भीम होकर उसके पैतृक गांव राजवा ले जाया गया। भीम उपखंड मुख्यालय से राजवा गांव 25 किलोमीटर दूरी पर है। पार्थिव देह देर शाम राजवा ले जाई गई।
इस बीच नाथद्वारा सहित कई जगह शहीद को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। मंगलवार को शहीद का उसके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शहीद के घर में गमगीन माहौल है तथा शहीद के परिवार में पत्नी रोड़ी देवी, चार बेटियां पायल, दीपिका, आशा और लता तथा एक बेटा चंदनसिंह है। बेटा चंदनसिंह दूसरी कक्षा में पढ़ता है।
जिस दिन घर में जन्मदिन की खुशियां मनाए जाने वाली थी, उस दिन दु:खों का पहाड़ परिवार पर टूट पड़ा है। संयोगवश सोमवार 19 सितंबर को ही शहीद हवलदार निम्बसिंह का जन्मदिन भी है और उनके शहीद होने की सूचना भी परिजनों को इसी दिन मिली तो उनका दर्द हजार गुना बढ़ गया। अब जन्मदिन पर ही उनका पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा।
विरासत से सीखी देशसेवा
शहीद निम्बसिंह ने विरासत में देशसेवा सीखी थी। बहादुरी, वीरता और देश की रक्षा का प्रण वो बचपन में ही ले चुके थे। उनकी रंगों में देशप्रेम दौड़ रहा था। ये विरासत उन्हें अपने पिता से मिली थी। शहीद निम्बसिंह के पिता कृष्णसिंह ने 1945 में हुए द्वितीय विश्वयुद्ध में दुश्मनों से लोहा लिया था। वे करीब 7 साल तक जर्मन जेल में रहे।
जर्मन जेल से रिहा होने के बाद देश की सेवा करते रहे। बाद में सिविल में राजस्थान पुलिस में भी सेवा की। ऐसे में देशभक्ति का जज्बा शहरी निम्बसिंह में शुरू से ही था। उन्होंने बचपन से ही पिता की तरह देशसेवा करने की ठान ली थी।
शहीद पहले बंगाल के जलपाई गुड़ी में कार्यरत थे। कुछ महीनों बाद ही सेवानिवृत्त होने वाले थे। शहीद के भाई राजूसिंह ने बताया कि रक्षाबंधन से पूर्व ही वह छुट्टी पर आए थे और 13 महीने बाद ही इनकी सेवानिवृत्ति होने वाली थी।
सिंह ने बताया कि मेरे परिवार में पीढियों से देश सेवा का जज्बा रहा है। पिता देश की आजादी के लिए दूसरे विश्वयुद्ध में लंबे समय तक जेल में रहे थे। उसके बाद छोटे भाई भारतीय थल सेना में भर्ती हुए जबसे हमें सूचना मिली है कि हमारा भाई शहीद हुआ है, मैं तो क्या मेरा पूरा गांव अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
उरी शहीद का ताबूत देख फफक पड़ा भाई, दूजे ने संभाला
लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित उरी सेक्टर में रविवार को आर्मी हैड क्वार्टर पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में मेवाड़ की माटी के सपूत राजसमंद जिले के भीम उपखंड की बिलियावास तहसील के राजवा गांव के निम्बसिंह रावत की पार्थिव देह दिल्ली से वायुसेना के विशेष विमान से शाम पांच बजे उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पहुंची।
एयरपोर्ट पहुंचने पर पार्थिव देह को पूरे सैनिक सम्मान के साथ एयरपोर्ट रखा गया। फिर सैनिकों ने शहीद को सलामी दी। अधिकारियों ने पुष्पचक्र भेंट कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर जिला कलक्टर रोहित गुप्ता, एडिशनल एसपी चंद्रशील ठाकुर, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट, महापौर चंद्रसिंह कोठारी आदि ने भी शहीद निम्ब सिंह को पुष्पांजलि दी। श्रद्धांजलि देते समय शहीद के दोनों भाइयों की आंखें छलछला आईं।
एक भाई ताबूत से लिपट कर फफक पड़ा तो दूसरे ने उसे संभाला। फिर पैर छूकर शहीद को नमन किया। इसके बाद शहीद की पार्थिव देह को राजसमंद के लिए रवाना कर दिया गया। सूचना के अनुसार, शहीद का शव भीम के सैनिक विश्रांति गृह में रखा जाएगा और मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की जाएगी।