राजसमंद। जम्मू-कश्मीर के उरी में शहीद हुए राजसमंद के जवान निम्बसिंह रावत का अंतिम संस्कार मंगलवार को उनके पैतृक गांव राजवा में राजकीय सम्मान के साथ कर दिया गया।
शहीद के सात वर्षीय पुत्र चंदन सिंह ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य देख अंतिम संस्कार में मौजूद हजारों लोगों की आंखे नम हो गई।
19 सितम्बर 1968 में जन्मे शहीद निम्बसिंह का मंगलवार को ही 46वां जन्मदिन था। संयोग ही रहा कि उनके जन्म दिन पर ही उनकी अंतिम विदाई हुई।
मंगलवार को जैसे ही शहीद का शव उनके घर पहुंचा, परिजनों का सब्र का बांध टूट गया और वे अपने आंसू नहीं रोक पाए। सिंह के शहीद होने की सूचना के बाद से ही गांव और समूचे इलाके में शोक की लहर थी।
लोगों में फक्र के साथ-साथ इस कायराना हरकत के लिए आतंकियों के प्रति भारी गुस्सा भी था। आतंकी हमले में शहीद का शव काफी जल चुका था। शहीद के शव को कोफिन में ही रखा गया और इसी अवस्था में लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए।
इससे पहले शहीद निम्बसिंह की पार्थिव देह को सोमवार को विमान से उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पर लाया गया और भीम उपखंड पर बने सैनिक विश्रांति गृह रखा गया। यहां बड़ी संख्या में लोगों ने शहीद के अंतिम दर्शन किए।
शहीद की अंतिम यात्रा मंगलवार सुबह उनके पैतृक गांव राजवा गांव के लिए रवाना हुई। उनका गांव भीम से तीस किलोमीटर दूर है। पूरे रास्ते भर पड़ने वाले गांवों के लोग शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
इस दौरान देश भक्ति के नारों से आसमान गूंज उठा और लोगों ने शव यात्रा पर पुष्प वर्षा की। शहीद के परिवार में चार पुत्रियां व एक पुत्र है।
अंतिम संस्कार में क्षेत्र के हजारों लोगों के अलावा राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी और भीम विधायक हरिसिंह रावत मौजूद थे। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट भी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
शहीद निम्बसिंह को जन्मदिन के दिन अंतिम विदाई, छलक पडे आंसू