पटना। अमरीकी पत्रिका फोर्ब्स की 100 सबसे अमीर भारतीयों की वार्षिक सूची में बिहार के दो उद्योगपतियों संप्रदा सिंह और अनिल अग्रवाल के नाम भी शामिल हैं।
भारत की पांचवी सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल्स कंपनी एल्केम लैबोरेट्रीज के मालिक संप्रदा सिंह सौ अमीर भारतीयों की फोर्ब्स-2016 की सूची में 42वें स्थान पर हैं। उनकी कुल संपत्ति 179 अरब रुपये है। संप्रदा पिछले साल सूची में 49वें स्थान पर थे। संप्रदा ने भाई नरेंद्र के साथ 1973 में एल्केम लैबोरेट्रीज की स्थापना की थी।
दूसरे सख्स है खनन व्यापारी अनिल अग्रवाल सौ अमीर भारतीयों की फोर्ब्स-2016 की सूची में 63वें स्थान पर हैं । पिछले साल अनिल 53वें पायदान पर थे। अनिल अग्रवाल की मौजूद कुल संपत्ति लगभग 74 अरब रुपये है। 2003 में शुरू हुई अनिल की वेदांता रिसोर्सेस लंदन स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज होने वाली पहली भारतीय कंपनी थी।
पटना में जन्मे अनिल अग्रवाल ने 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ा और पुणे में पिता के एल्मुयनियम कंडक्टर बनाने के व्यापार में लग गए। 19 साल की उम्र में पुणे से मुंबई आए और अपना व्यापार शुरू किया। अनिल ने 1970 में स्क्रैप मेटल का काम शुरू किया। 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कार्पोरेशन को खरीदा।
कौन है संप्रदा सिंह
एल्केम ग्रुप के चेयरमैन संप्रदा सिंह किसान के बेटे हैं। उन्होंने अपनी जिद से न सिर्फ खुद की किस्मत संवारी, बल्कि साढ़े आठ हजारों लोगों को रोजगार देकर युवाओं के लिए आज प्रेरणास्रोत बन गए हैं।
मूलत: बिहार के जहानाबाद जिले के ओकारी गांव के भूमिहार जाति से तालुक रखने वाले संप्रदा सिंह का जन्म 25 जनवरी, 1926 को हुआ था। संप्रदा की शिक्षा गांव के स्कूल में हुई । 13 साल की उम्र में पांचवीं में थे, तभी शादी कर दी गई । ग्रामीण माहौल में गांव के बच्चों के साथ चिकी, डोल-पत्ता व फल्गु नदी में खेलते उन्होंने घोसी हाईस्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की।
साल 1950 में उन्होंने गया कॉलेज से बीकॉम की परीक्षा पास की। औसत दर्जे के विद्यार्थी लेकिन अव्वल दर्जे की सोच हमेशा साथ रखते थे। उस जमाने में भी ग्रेजुएट होने के बावजूद बेरोजगारी दूर करने की चिंता उनपर कम नहीं थी। घर व समाज से कुछ कमाने का दबाव लगातार बना रहा। औसत दर्जे का छात्र रहने की वजह से उन्होंने किसी बड़ी नौकरी का इंतजार किए बगैर खेती शुरू कर दी।
खेती करना शुरू किया तो उस साल मौसम ने साथ नहीं दिया। सुखाड़ होने की वजह से उनकी खेती में लगी पूंजी पानी में चली गई। जैसा कि आमतौर पर पढ़े-लिखे लोगों के साथ गांव में होता है उनके साथ भी वहीं हुआ। गांव व समाज के लोगों ने पढ़-लिखकर खेती में उनकी पसंद पर ताने कसने शुरू कर दिए। तानों से तंग उनका मन गांव से बाहर निकल भाग्य आजमाने की कोशिश में जुट गया।
साल 1992 में उन्होंने पंडुई हाईस्कूल में शिक्षक की जॉब शुरू की। टीचिंग में उनका मन नहीं लगा। कुछ दिनों में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। फिर विलेज वालंटियर फोर्स में उन्हें एक संबंधी की सिफारिश पर क्लर्क की नौकरी मिल गई। वहां हेड क्लर्क की बातें चुभने लगीं। कुछ ही दिनों में क्लर्क की नौकरी भी हाथ से निकल गई। फिर एक रिश्तेदार के छाते की दुकान में काम किया। मौसमी बिक्री बिक्री के कारण यहां भी उनका मन नहीं लगा।
यहीं से उन्होंने पहले पटना में दवा दुकान में नौकरी शुरू की। फिर अपनी दवा की दुकान शुरू कर दी। दवा दुकान चलाते-चलाते विभिन्न कंपनियों के बड़े अधिकारियों व सेल्स मैनेजरों से उनकी मुलाकात होती रही। उनके करीब रहते-रहते उन्होंने दवा उत्पादन व्यवसाय की बारीकियों को काफी हद तक समझ लिया था। पूंजी की कमी को राह में बाधक नहीं बनने दिया।
1970 में अपनी दवा कंपनी डालने मुंबई पहुंच गए। वहां उन्होंने महेंद्र प्रसाद व एक अन्य मित्र से संपर्क साधा। दवा कंपनी की 1970 में नींव पड़ गई। एरिस्टो फार्मा के नाम से कंपनी का काम शुरू हो गया। तीन हिस्सेदारों वाली इस कंपनी में महेंद्र प्रसाद का हिस्सा सबसे अधिक था। महेंद्र प्रसाद हैं आज एरिस्टो दवा कंपनी के मालिक व जदयू के राज्यसभा सांसद। एक साल में ही संप्रदा व महेंद्र प्रसाद के बीच खटपट हो गया।
1973 में उन्होंने खुद की कंपनी एल्केम लैबोरेट्रीज की शुरुआत की। एल्केम लैबोरेट्रीज की एक्सक्लूसिव दवाओं का प्रोडक्ट बाजार धीरे-धीरे विश्व के कई देशों में छा गया। अपने व्यवसाय के सिलसिले में संप्रदा सिंह ने अमरीका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में यात्रा कर व्यवसायिक प्रतिभा का डंका बजाया।
कौन है अनिल अग्रवाल
मूलत: मारवाड़ी समाज से तालुक रखने वाले अनिल अग्रवाल का जन्म 24 जनवरी 1954 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। उनके दो बच्चे है, अग्निवेश (पुत्र) और पुत्री प्रिया । पटना मिलत्त हाईस्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा पाने वाले अनिल अग्रवाल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं।
लंदन स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज पहली भारतीय कंपनी वेदांता रिसोर्सेस के संस्थापक। 74 अरब रुपये कुल संपत्ति। खनन किंग अनिल अग्रवाल सौ अमीर भारतीयों की फोर्ब्स-2016 की सूची में 63वें स्थान पर हैं। पिछले साल अनिल 53वें पायदान पर थे।
अनिल अग्रवाल की मौजूद कुल संपत्ति लगभग 74 अरब रुपये है । 2003 में शुरू हुई अनिल की वेदांता रिसोर्सेस लंदन स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज होने वाली पहली भारतीय कंपनी थी। पटना में जन्मे अनिल अग्रवाल ने 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ा और पुणे में पिता के एल्मुयनियम कंडक्टर बनाने के व्यापार में लग गए।
19 साल की उम्र में पुणे से मुंबई आए और अपना व्यापार शुरू किया। अनिल ने 1970 में स्क्रैप मेटल का काम शुरू किया। 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कार्पोरेशन को खरीदा।
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