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movie review : Wah Taj is an amateur attempt at satire
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‘वाह ताज!’: अच्छे विषय पर बनी बोझिल फिल्म

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‘वाह ताज!’: अच्छे विषय पर बनी बोझिल फिल्म
movie review : Wah Taj is an amateur attempt at satire
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नई दिल्ली। बॉलीवुड में ताजमहल के इर्द गिर्द कई फिल्में बनी है लेकिन’वाह ताज!’ बाकी फिल्मों से अलग है। फिल्म के जरिये किसानों की समस्याओं से दर्शकों को रूबरू करने की कोशिश की गई है। फिल्म का निर्देशन अजित सिन्हा ने किया है। फिल्म में श्रेयश तलपड़े और मंजरी फडनिस मुख्य भूमिका में है।

कहानी:-

‘वाह ताज!’ कहानी है मराठा किसान तुकाराम (श्रेयस तलपड़े) और पत्नी सुनंदा (मंजरी फडनिस) की, जिनका दावा है कि ताजमहल उनके पुरखों की जमीन पर बना है जिसे जबरदस्ती हड़प लिया गया है।

अपनी जमीन पर दावा ठोकने के लिए तुकाराम और सुनंदा महाराष्ट्र से आगरा आते हैं और ताजमहल की जमीन वापस पाने के लिए मुहिम छेड़ देते हैं जिसके तहत वे धरना करने के साथ-साथ अदालत की शरण में भी जाते हैं। तुकाराम की प्रसिद्धि से सरकार हिल जाती है और उसे ताजमहल के बदले देश के किसी भी हिस्से में जमीन देने की पेशकश करती है।

लॉटरी के जरिये तुकाराम महाराष्ट्र की जिस जमीन की मांग करता है, उसे सरकार पहले ही किसानों से लेकर एक उद्योगपति के नाम कर चुकी है। यहां पर कहानी में ऐसा मोड़ आता है जिसे बता कर हम फिल्म देखने का आपका मजा किरकिरा नहीं कर सकते।

निर्देशन :-

बतौर निर्देशक अजित सिन्हा की यह पहली फिल्म है। उनके निर्देशन में कई खामियां दिखी फिल्म की कडिय़ों को जोडऩे में कामयाब नहीं रहे और फिल्म का विषय अच्छा और दमदार होने के बाद वह पर्दे पर उसे बिल्कुल भी असरदार नहीं बना पाए।

अभिनय :-

फिल्म में मराठा किसान के किरदार में श्रेयस तलपड़े का अभिनय अच्छा हैं, मंजरी फडनिस ने भी उनका अच्छा साथ दिया है। हालांकि हेमंत पांडे सहित दूसरे सहायक किरदार अपना असर छोडऩे में सफल नहीं रहे।

गीत संगीत:-

फिल्म में विपिन पटवा, जयदेव कुमार और गौरव दागाओकर ने संगीत दिया है जो ठीक-ठाक है लेकिन कोई ऐसा गाना नहीं जो आप सिनेमाघर से बाहर निकल कर याद रख सके।

देखे या ना देखे:-

अगर आप अगरा जा कर ताजमहल का दीदार नहीं कर सकते तो इस फिल्म को एक बार देख सकते है। फिल्म में ताज की खूबसूरती को अलग-अलग एंगल और जगहों से दिखाया गया है। फिल्म के आखिर के 15-20 मिनट को छोड़ कर पूरी फिल्म बोझिल लगती है।

फिल्म देख कर लगता है कि निर्माताओं ने विषय तो अच्छा चुना लेकिन उसके साथ पूरी तरह न्याय नहीं कर पाए।

रेटिंग:

वैसे तो यह फिल्म पांच में से डेढ स्टार के लायक ही है लेेकिन अच्छे विषय के चयन के लिए इसे मिलते हैं, पांच में से दो स्टार (2/5)।

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