कोलंबो। भारत, अफग़ानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान के बाद अब श्रीलंका ने भी पाकिस्तान में नवम्बर में होने वाले 19वें दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) शिखर सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
इस क्षेत्र में मौजूदा हालात को देखते हुए श्रीलंका ने सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। श्रीलंका ने कहा है कि वह हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा करता है और मानता है कि इस क्षेत्र में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए निर्णायक कदम उठाए जाने चाहिए। सार्क के तहत आने वाले आठ देश हैं भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान और अफगानिस्तान।
जम्मू-कश्मीर के उरी सेन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की रणनीति में शामिल होने वाला श्रीलंका पांचवां देश है। इससे तीन दिन पहले पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने और इस क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए भारत, अफगानिस्तान,बांग्लादेश, भूटान ने इस सम्मेलन में इस्लामाबाद जाने से इनकार कर दिया था।
कोलंबो के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि मौज़ूदा हालात सार्क सम्मेलन के अनुकूल नहीं है। सार्क में सभी स्तर के निर्णय सर्वसम्मति के आधार पर लिए जाते हैं और यही तथ्य सार्क के सदस्य देशों की सरकार की बैठकों पर भी लागू होता है।
बयान में कहा गया गया है कि दक्षिण एशिया में लोगों की भलाई के लिए एवं क्षेत्रीय सहयोग मजबूत करने के लिए इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बहुत जरूरी है। सार्क का संस्थापक सदस्य होने के नाते श्रीलंका उम्मीद करता है कि इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाने चाहिए।
जिससे कि क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया जा सके। श्रीलंका हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा करता है और मानता है कि इस क्षेत्र में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए निर्णायक कदम उठाए जाने चाहिए।
सार्क के नियमों के मुताबिक सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है। अगर एक भी सदस्य सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेता है तो इसे स्थगित करना पड़ता है या रद्द करना पड़ता है।
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