सबगुरु न्यूज-पिण्डवाड़ा। पिण्डवाड़ा की एक सडक़ को लेकर जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी और एसीबी को की गई शिकायत से तो यही प्रतीत होता है कि गोरखधंधे भाजपा राज में कांग्रेस राज की तरह ही यथावत हैं। पद और अधिकारी बदल रहे हैं, लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर उनकी कारस्तानी में रत्ती मात्र का अंतर नहीं दिख रहा है।
इस शिकायत में बताया गया है कि एक सडक़ जिसे पहले ही बना दिया गया था, उसका टेंडर 17 सितम्बर को प्रकाशित हुआ और खोला 27 सितम्बर को गया है। स्थानीय निवासी रमेश खण्डेलवाल ने ज्ञापन में बताया कि वनवासी कल्याण स्कूल के पास व गेट के आगे वार्ड संख्या 16 मे ंसीसी रोड निमा्रण कार्य के लिए 17 सितम्बर को एक समाचार पत्र में पिण्डवाड़ा नगर पालिका की ओर से निविदा आमंत्रित की गई थी। जबकि इस कार्य को दस दिन पहले ही अपने खर्चे से पूर्ण कर दिया था। इसमें आरोप लगाया गया कि इसमें नगर पालिका की ओर से भ्रष्टाचार किया गया है।
-कई आशंकाएं
ज्ञापन के अनुसार शिकायतकर्ता ने यह बताया है कि इस सडक़ को दानदाता ने बना दी है। यदि ऐसा है तो उसके आरोपों के अनुसार नगर पालिका की ओर से निकाली गई निविदा मात्र साढे नौ लाख रुपये हड़पने की कवायद हो सकती है। यदि इसे किसी दानदाता ने नहीं बनाया है। खुद नगर पालिका पिण्डवाड़ा ने ही बनाया है और बाद में इसकी निविदा निकाला है तब भी यह एक भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। कांग्रेस राज में कई स्थानों में इस तरह के गोरखधंधे हुए हैं।
यदि यह सडक़ नगर पालिका ने निविदा से पहले ही बनवाई है तो नगर पालिका की नीयत और टेंडर प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है क्योंकि इस सडक़ को बनवाने के लिए किसी न किसी ठेकेदार को जिम्मेदारी दी गई होगी। उस ठेकेदार ने अपनी राशि से खरीद कर सीमेंट, कॉन्क्रीट, बजरी, सरिये लाए होंगे और मजदूरी का भुगतान भी खुदने किया होगा। टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी तब मानी जाती है जब यह पूरी तरह से गोपनीय हो।
अब यदि किसी निकाय में सडक़ पहले ही बना दी गई है तो इसका मतलब यह हुआ कि नगर पालिका की ओर से पहले ही यह निर्णय कर लिया गया था कि यह ठेका किसे दिया जाना है। इस तरह के ठेकों में प्रतिस्पर्धी दरें नहीं आती और इसके पूलिंग के नाम से जाना जाता है, जिससे सरकार को नुकसान होने की आशंका होती है।