नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को फटकार लगाते हुए सीधे शब्दों में कहा कि समय बर्बाद करना बंद करें। एक शपथपत्र दें कि आप सिफारिशों को लागू करेंगे वरना हमें आदेश पारित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बीसीसीआई को निर्देश दिया कि वह अपनी उन राज्य इकाइयों को धन आवंटित न करे जो इन सिफारिशों को मानने से इनकार कर रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन राज्य संघों को कोई धन आवंटित न किया जाए जो सुधरने को तैयार नहीं है। उन्हें धन की मांग करने का कोई हक नहीं है। वैसे भी आपको धन आवंटन की चर्चा करने की इतनी जल्दी क्या है।
इससे पहले बीसीसीआई के वकील सिब्बल ने लोढा समिति की दायर की गई रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने कभी भी समिति की सिफारिशों को मानने से इनकार नहीं किया है।
सिब्बल ने कहा कि बीसीसीआई के सभी सदस्यों की बैठक हुई थी। इसमें कई सिफारिशों को खारिज किया गया था। लोढा समिति को भेजे गए सभी 40 ई-मेल्स रिकॉर्ड की जानकारी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की जाएगी। यह बात सच नहीं है कि हमने समिति की ई-मेल्स पर कोई जवाब नहीं दिया।
गौरतलब है कि लोढा समिति ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में जो रिपोर्ट पेश की थी, उसमें समिति ने आरोप लगाया था कि बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नहीं मान रही है और और न ही बोर्ड में कोई सुधार कर रहा है।
समिति ने साथ ही यह भी कहा था कि बोर्ड समिति की सिफारिशों को लागू नहीं कर रहा है। बीसीसीआई का पक्ष है कि लोढा समिति की सिफारिशें भारतीय क्रिकेट के लिए बेहतर नहीं हैं और यह बोर्ड को पूरी तरह से कमजोर कर देंगी।
वहीं लोढा समिति का कहना है कि बीसीसीआई को पारदर्शी बनाने के लिए सिफारिशें दी गई थी जिन्हें अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
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