बगहा। बिहार के पश्चिम चम्पारण जिला स्थित बाल्मीकिनगर व्याघ्र परियोजना में मां मदनपुर की देवी स्थान काफी सुख्यात है। यहां स्थान पर दर्शन करने वालों में बाघ भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के लोग दर्शन के लिए सबसे ज्यादा पहुंचते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार पहले यह एक समृद्ध शाली मदनपुर राज्य में यह देवी स्थान पडता था। इस स्थान पर रसोगुरू नामक एक पुजारी रहकर मां की साधना करते थे।
इनकी विशेषता थी कि ये भिक्षाटन नहीं करके खेतों में गिरा हुआ धान और गेहूं का फसल उठाकर स्थान पर लाते थे। जहां रात में बाघ आकर मां का दर्शन के साथ, इनके रखे हुए फसल पर दउरी में कर देते थे।
इस तरह फसल इनके लिए तैयार हो जाती थी। इस तरह जीवन का भरण-पोषण चल रहा था। इसकी भनक मदनपुर के राजा मदन सिंह को लग गई। राजा रासोगुरू के पास पहुंचकर देवी का दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की।
राजा की जिद पर रासोगुरू ने मां का आह्वान किया। माता पहले भक्त रासोगुरू द्वारा समझाने की बात कही, पर राजा को समझना झूठ लग रहा था। माता कई जगहों पर रूकती हुई आई। जो आज विभिन्न शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। फिर इस स्थान पर पहुंची। फिर वो चेतावनी दी कि दर्शन के साथ सबका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
रासोगुरू के बात न मानकर दर्शन की बात पर राजा अडे रहे। मां रासोगुरू के शरीर में प्रवेश कर उनके मस्तिष्क के भीतर से फाडते हुए हाथ में पहना हुआ सोना का कंगन दिखलाया। राजा को दर्शन प्राप्त करने के साथ राज्य का विध्वंस हो गया। पर उनके कुल की एक गर्भवती अवस्था में स्त्री मैंके गई थी।
मदन राजा कुल के लोग आज भी बडगांव में रहते हैं। नवमी के दिन पहले इस कुल की पूजा चढती है। यहां पर बलि चढाई जाती है। मन्नते पूरा होने के लिए ख्यातिप्रद जगह में जाना जाता है।
रासोगोरू और राजा तो नहीं रहे, पर बाघ आज भी हैं, जो रात होते ही यहां स्थान पर आना नहीं भूलते हैं। बिहार सरकार ने इसे पर्यटन से भी जोडा है। लोगों के सुरक्षा के लिए पुलिस ने यहां पर मेला थाना की स्थापना गत सप्ताह की है।
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