चंडीगढ़। करवाचौथ का व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही महत्व रखता है। करवाचौथ पर महिलाएं खरीदारी में पूरे साल की कमी निकाल लेती हैं। ऐसे में उनके लिए त्योहार की खुशी दोगनी हो जाती है।
शहर के विभिन्न सेक्टरों में करवाचौथ को लेकर एग्जीबिशन भी लगाई गई है। किसान भवन में लगी प्रदर्शनी भी युवतियों और महिलाओं को काफी लुभा रही है, जिसमें करवाचौथ पर स्पेशल सूट, साड़ी, एसेसरीज, डायमंड ज्वैलरी, गोल्ड ज्वैलरी, सिल्वर और कूदंन ज्वैलरी भी महिलाओं की पहली पंसद बनी हुई है।
वहीं शहर के सभी बाजारों में भी इस त्यौहार की खासी रौनक देखने को मिल रही है। बात अगर मेंहदी की करें तो करवाचौथ पर मेंहदी का विशेष महत्व होता है। हर महिला अपने सुहाग के लिए सुंदर से सुंदर मेंहदी लगवाने की चाह रखती हैं।
इसी दौरान शहर के बाजारों में जगह-जगह पर मेहंदी लगाने वालों पर अभी से काफी भीड़ भी दिखाई देने लगी है।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।
इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है। आधुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है, जिसे पति व मंगेतर अपनी-अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
इस साल बुधवार को करवाचौथ पर 100 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस बार करवाचौथ का एक व्रत करने से 100 व्रतों का वरदान मिल सकता है। चार संयोग इस बार करवा चौथ को खास बना रहे हैं।
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बुधवार 19 अक्टूबर को चन्द्रमा वृषभ राशि में और रोहिणी नक्षत्र एक साथ रहेगा। इससे पहले इस तरह का संयोग करवाचौथ के दिन 1916 में बना था। तब करवा पर्व पर चार महासंयोग एक साथ बने थे। ये अदभुत संयोग करवाचौथ के व्रत को शुभ फलदायी बना रहा है।
गणेश चतुर्थी का संयोग इसी दिन है जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है। गणेश जी की पूजा का भी विशेष महत्व रहेगा। चंद्रमा स्वयं शुक्र की राशि बृष में उच्च के होंगे।
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बुध स्वराशि कन्या में और शुक्र व शनि एक ही राशि में विराजमान होंगे। यही नहीं ज्योतिष शास़्त्र के अनुसार भी शुक्र प्रेम का परिचायक है। इस दिन शुक्र ग्रह मंगल की राशि वृश्चिक में हैं जिससे संबंधों में उष्णता रहेगी।
1. 19 अक्तूबर को करवाचौथ पर पूजा कथा तथा चंद्रोदय का शुभ समय मंगलवार की रात्रि 11 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी
2. इसके बाद से चतुर्थी तिथि आरंभ होकर बुधवार की सायं 07 : 33 बजे तक रहेगी।
3. कथा एवं पूजा का समय 17:45 से 19: 00 तक
4. चंद्र दर्शन, ट्राईसिटी चंडीगढ़, पंचकूला व मोहाली, 20: 46,अंबाला, 20:49
5 . व्रत खोलने का मुहूर्त रात्रि चांद दिखने पर 9 बजे के बाद होगा।
6 . चंद्र किरण 9 बजे से कुछ पहले दिखनी शुरु हो जाएगी, परंतु इस बार चंद्र दर्शन 9 बजे के बाद ही होंगे।
कैसे करें पारंपरिक व्रत
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति, पुत्र, पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव, पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अघ्र्य दें।
पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें। सुहाग की सामग्री, कंघी, सिंदूर चूड़ियां, रिबन, रुपए आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आर्शीवाद लें और फल, फूल, मेवा, मिष्ठान, बायना, सुहाग सामग्री, 14 पूरियां, खीर आदि उन्हें भेंट करें।
विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास, बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
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