झुंझुनू। पूर्व विधायक रीटा चौधरी के कांग्रेस में फिर से शामिल होने के बाद एक बड़ा झटका पीसीसी चीफ डॉ. चंद्रभान के समर्थकों को लगा है या फिर कह सकते हैं कि सीधे ना सही, लेकिन कहीं ना कहीं डॉ.चंद्रभान इस झटके के बाद राजनीतिक गलियारों में रीटा के मुकाबले मंडावा में कमजोर माने जाने लग जाएंगे।
विधानसभा चुनावों में भी डॉ.चंद्रभान की जमानत जब्त हो गई थी। वे खुद प्रदेश में टिकट बांटने वाले थे। ऐसे में उनकी टिकट तो जैसे तैसे उन्हें मिल गई। लेकिन वे रीटा के मुकाबले कम ही वोट ले पाए, जिसके बाद उन्होंने रीटा को पार्टी से निकलवा दिया। लेकिन राजनैतिक समीकरण बदले तो रीटा की वापसी हो गई।
वापसी के बाद मंडावा विधानसभा में पहला मनोनयन हुआ है। वह रीटा के खेमे से हुआ है। दो दिन पहले बिसाऊनगर अध्यक्ष पद पर एडवोकेट अयूब खान को मनोनीत किया गया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो एडवोकेट अयूब खान रीटा के खेमे से ताल्लुक रखते हैं।
बताया जा रहा है कि डॉ.चंद्रभान अपने खेमे से सद्दीक डायर को अध्यक्ष मनोनीत करवाना चाह रहे थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यही कारण है कि अब सद्दीक डायर ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल लिया है और पीसीसी चीफ सचिन पायलट को पत्र लिखकर इस मनोनयन को वापिस लेने की मांग की हैं।
लेकिन यह आने वाला वक्त बताएगा कि आखिर इस मनोनयन को लेकर और क्या-क्या उठापटक होती है। पर इस मनोनयन के बाद डॉ.चंद्रभान को मंडावा में अपनी सक्रियता को और बढ़ाना होगा नहीं तो उन्हें चुनावों में खामियाजा उठाना पड़ सकता है। क्योंकि फिलहाल माहौल और कांग्रेस दोनों ही रीटा के पक्ष में नजर आ रहे हैं।