चंडीगढ़। देश में धन तेरस अर्थात धन त्रयोदशी पर्व का अत्यंत महत्व माना गया है। धन तेरस के साथ पौराणिक ही नहीं अपितु आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
यह पर्व दीवाली के आगमन की सूचना देता है और महापर्व का पंचदिवसात्मक दिन आरंभ हो जाता है। वास्तव में यह दिवस, लक्ष्मी जी के स्वागत का, धन प्रबंधन का, आय बढ़ाने, बचत एवं निवेश के सामंजस्य का सुअवसर है। धन, वैभव, युख समृद्धि आदि का यह पर्व इस वर्ष 27 व 28 अक्टूबर को है।
धन तेरस शुक्रवार अर्थात लक्ष्मी दिवस पर ही पड़ रही है जो विलासिता, धन, वैभव एवं सुख समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन कन्या राशि , रवि अमृत योग, वैद्यृती योग और हस्त नक्षत्र भी होगा जो व्यापार के लिए अधिक शुभ माना जाता है।
धन तेरस का शुभ मुहूर्त 27 अक्तूबर की सायं 16.16 बजे से आरंभ होकर, अगले दिन 28 अक्तूबर शुक्रवार की सायं 18.20 बजे तक रहेगा। पुराणों के अनुसार धन्वंतरि जी का अवतरण समुद्र मंथन के अवसर पर अमृत कलश सहित हुआ था।
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अतः आज के दिन बर्तन या आभूषण खरीदना शुभ संकेत माना गया है। बर्तन तथा स्वर्ण या चांदी की धातुएं, स्टील की आल्मारी या तिजोरी, गृहोपयोगी होने के साथ साथ काफी हद तक स्थाई माने जाते हैं।
आज के दिन मिठाई, पूजन के लिए लक्ष्मी – गणेश जी की मूर्तियां, चित्र, चांदी, ब्रास या सोने की मूर्तियां, पूजन की थाली, नए कपड़े, विवाह की खरीदारी, टी वी, , लैपटाप, कंप्यूटर, टैब, घड़ी, मोबाईल, डिनर सैट, टोस्टर, तंदूर, बलैंडर, जूसर मिक्सर, फ्रिज, गीजर, कुकर, माइक्रोवेव, फर्नीचर, घर की साज सज्जा, डेकोरेशन, पर्दे, पेंटिग्ज, सोफा, बेड, अन्य फर्नीचर, खिलौने, दीवाली की सजावटी लाईटें, पूजा सामग्री, खीलें ,बतासे, अखरोट आदि ले सकते हैं।
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मान्यता है कि दीवाली से दो दिन पहले पड़ने वाले इस त्योहार पर धनतेरस की शाम दीपदान किया जाता है ताकि पूरा परिवार यमराज के कोप से बचा रहे और परिवार में, अक्समात कोई दुर्घटना न हो। घरों की भी सफाई की जाती है। शाम के समय प्रवेश द्वार पर रंगोली निर्मित की जाती है ताकि स्वच्छता देख कर लक्ष्मी जी घर पधारें।
इसी दिन धन पूजन, बही खातों, डायरी, कलम दवात , आज के संदर्भ में आपका कंप्युटर, लैपटाप, कैल्कुलेटर, र्वेइंग, मशीन, डी कोडिंग मशीन या व्यापारिक प्रतिश्ठानों में लगे ऐसे साधन व उपकरण जो व्यापार में सहायक होते हैं। उनका भी पूजन किया जाता है।
धनतेरस के शुभ मुहूर्त निम्न हैं
राहु काल-10.30 से 12 बजे तक। इस अवधि में पूजा या खरीदारी न करें।
लाभ का चैघड़िया- 08.12 से 09.36 तक। व्यापारियों के अर्थ लाभ के लिए विशिष्ट समय है।
अमृत का चैघड़िया- 09.36 से 10.30 तक। इस अवधि में किये गये कार्य में सफलता रहती है।
शुभ का चैधड़िया- 12.24 से 01.48 दोपहर तक। इस अवधि किए गए कार्य में शुभता रहती है।
वृश्चिक लग्न-08.15 से 10.35 प्रातः तक।
कुंभ लग्न-02.15 से 03.40 दोपहर तक।
वृषभ लग्न- 07.00 से 08.30 शाम तक।
सिंह लग्न- 01.28 से 03.30 रात्रि तक।
प्रदोश काल- 17.35 से 20.10 तक।
वृषभ काल- 18.35 से 20.30 तक।
त्रयोदशी तिथि आरंभ – 27 अक्तूबर शाम 16.15 तक।
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 28 अक्तूबर की शाम 18.20 तक।
धन तेरस का शुभ पूजा मुहूर्त 28 की शाम-17.50 से 18.20 तक
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