नई दिल्ली। सरकार ने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम को अधिसूचित कर दिया है। सात साल की सजा और जुर्माने के प्रावधान वाला नया अधिनियम 1 नवंबर से लागू हो जाएगा।
वित्त मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार ‘बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1 नवंबर 2016 को अमल में आ जाएगा। इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून 1988 कर दिया जाएगा।’
पीबीपीटी अधिनियम बेनामी लेनदेन को परिभाषित करता है और उनपर प्रतिबंध लगाता है। अधिनियम में उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
इसमें प्रावधान है कि बेनामी संपत्ति पर उसके मालिक का कोई अधिकार नहीं होगा और सरकार उसे बिना मुआवजा दिए जब्त कर सकती है। इसका सीधा अर्थ यह है कि 1 नवंबर के बाद किसी औऱ के नाम से खरीदी जाने वाली संपत्ति का पता चलने पर सरकार ऐसी संपत्ति को जब्त कर लेगी।
पीबीपीटी अधिनियम के तहत निर्णायक प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में एक अपीलीय तंत्र भी प्रदान किया गया है। इस कानून की एक खास बात यह भी है कि इन मामलों में शामिल लोग उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
नए कानून में यह भी साफ किया गया है कि अगर आप अपने पति या अपनी पत्नी, बच्चों के नाम या फिर भाई-बहनों के साथ साझेदारी में कोई संपत्ति खरीदते हैं तो उसके लिए चुकाया गया पैसा ज्ञात स्रोतों से आना चाहिए।
नए कानून का मकसद जमीन-जायदाद के कारोबार में काले धन पर लगाम लगाना है। हालांकि बेनामी लेन-देन रोकने के लिए एक कानून 1988 में बना था, लेकिन नियम अधिसूचित नहीं किए जाने की वजह से उसे लागू नहीं किया जा सका था।
नए कानून के तहत न केवल बनामी संपत्ति की परिभाषा साफ की गई है, बल्कि उसे जब्त कर बगैर मुआवजा दिए बेचने का भी अधिकार केंद्र सरकार को दे दिया गया है।