देहरादून। एक फोन काॅल ने एक परिवार की दीपावली काली कर दी। उस फोन काॅल पर ऐसी खबर आई जिसने एक परिवार ही नहीं बल्कि पूरे मोहल्ले में कोहराम मचा दिया। जी हां, बात हो रही जम्मू कश्मीर के तंगधार के आतंकी हमले में शहीद हुए गढ़वाल रायफल के रायफल मैन संदीप की शहादत की।
शुक्रवार की देर रात संदीप रावत की शहादत की खबर टेलीफोन पर उसके परिवार को मिलते ही पूरे परिवार और मोहल्ले में कोहराम मच गया। दीपावली की तैयारियों में लगे परिवार में बदहवासी और मातम छा गया।
संदीप के पिता ने बताया कि देर रात उनको टेलीफोन पर संदीप की शहादत की सूचना मिली तो वे अपना होश खो बैठे। उनकी हालत के बारे में जब संदीप की मां आशा देवी और भाभी रेखा ने पूछा तो उन्होंने बुझे शब्दों में यह मनहूस खबर उन्हें सुनाई।
यह सुनते ही घर में कोहराम मच गया। तब से तीनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मोहल्ले में खबर फैलते ही पूरा मोहल्ला संदीप के घर पर जुट गया।
संदीप के पिता हरेन्द्र रावत ने बताया कि संदीप को अगले सप्ताह घर आना था। घर वाले संदीप की शादी के लिए लड़की तलाश रहे थे। कुछ लड़कियों को वह देख चुका था और इस बार उसे कुछ और लड़कियां देखनी थी। इस बार उसकी सगाई की भी योजना थी। वह रोते हुए बताते हैं कि उन्हे अंदाजा नहीं था कि शादी के पहले ही उनका बेटा शहीद हो जाएगा।
संदीप के पिता और रिश्तेदारों को इस बात का बेहद मलाल है कि बेटे की शहादत के घंटो बीतने के बाद भी उनके घर पर ना तो कोई प्रशासनिक अधिकारी पहुंचा और ना ही कोई राजनेता।
इस बारे में पूछे जाने पर मोहल्ले वालों ने भी आक्रोश जताया और कहा कि सरकार और उसका सिस्टम पूरी तरह से असंवेदनशील हो गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो देश के लिए मरने वाले शहीद के परिवार के साथ ऐसी बेरूखी क्यों दिखाई जाती।
हरेन्द्र रावत ने बताया कि संदीप दो साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ था। लैंसडौन में उनकी एक साल की ट्रेनिंग हुई थी। 9 जनवरी 2016 को उनकी कसम परेड हुई थी जिसमें उन्होंने देश के दुश्मनों को मार गिराने और देश की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने की कसम खाई थी।
संदीप के पिता ने बताया कि वे स्वयं 10-गढ़वाल रायफल में हवलदार के तौर पर सर्विस के दौरान कारगिल की लड़ाई लड़ चुके है। 2008 में वे वहां सेवा निवृत्त हुए। उन्होंने कहा कि मैंने कारगिल युद्ध में दुश्मनों को मारा। मेरे बेटे पर अचानक हमला हुआ नहीं तो वह दुश्मनों को छोड़ता नहीं।
फौजी होने के नाते हरेन्द्र को बेटे की शहादत पर गर्व है। पाकिस्तान का नाम लेने पर हरेन्द्र गुस्से से लाल हो जाते है। वह कहते है कि पाकिस्तान कुछ भी कर ले इस देश का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
संदीप की शहादत का समाचार मिलते ही उसके घर पर रिश्तेदारों और मोहल्लेवालों का तांता लग गया। देर रात तक संदीप के परिवार वालों को सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी रही। संदीप के पिता के फौजी दोस्त भी उसके घर पर डटे रहे। संदीप के पिता ने बताया कि पेट्रोलिंग के दौरान पाकिस्तानी रेंजरों ने छिप कर संदीप पर हमला किया। जिससे संदीप शहीद हो गया।
संदीप की मां ने बताया कि संदीप ने कहा कि था कि वह दीवाली के रोज फोन करेगा लेकिन दीवाली पर फोन आने से पहले उसकी शहादत की मनहूस खबर आ गई। दीवाली से पहले आई इस खबर ने रावत परिवार के घर पर अंधेरा कर दिया।
हमारे पौड़ी प्रतिनिधि ने बताया कि संदीप की शहादत की खबर से उसके पैतृक गांव घोड़ापाल तल्ला में मातम है। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रिश्तेदार और गांव वाले देहरादून रवाना हो गए है।
संदीप के जीजा गजे सिंह नेगी ने कहा कि संदीप की शहादत से पूरे गांव में मातम है लेकिन उसकी बहादुरी पर सबको गर्व भी है। घोड़पाला तल्ला की ग्राम प्रधान नीमा देवी ने बताया कि संदीप रावत की शहादत से गांव में शोक छाया हुआ है। संदीप का परिवार 2004 से ही देहरादून के नवादा कोलापुर में रहता है। गांव के लोग संदीप को याद कर गमगीन है।